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Channel: जानकी पुल – A Bridge of World's Literature.
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मिथिलेश कुमार राय का उपन्यास-अंश ‘करिया कक्का की आत्मकथा’

मिथिलेश कुमार राय ग्रामीण जीवन को लेकर बहुत जीवंत लेखन करते हैं. उसकी राजनीति से अलग उसके जीवन को सहज रूप में देखने की कोशिश करते हैं. वे आजकल उपन्यास लिख रहे हैं ‘करिया कक्का की आत्मकथा’. उसी का एक...

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सुशील कुमार भारद्वाज की कहानी ‘मंझधार’

सुशील कुमार भारद्वाज युवा लेखक हैं, हाल में उन्होंने कुछ अच्छी कहानियां लिखी हैं. उनकी कहानियों का एक संकलन किन्डल पर ईबुक में उपलब्ध है. यह उनकी एक नई कहानी है- मॉडरेटर...

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‘बहत्तर धडकनें तिहत्तर अरमान’ और एक समीक्षा

समकालीन पीढ़ी की सिद्धहस्त लेखिका आकांक्षा पारे काशिव का कहानी संग्रह आया है ‘बहत्तर धडकनें तिहत्तर अरमान’. आकांक्षा चुपचाप अपना काम करती हैं, बिना किसी शोर शराबे के. उनकी कहानियों में जो ‘विट’ होता है...

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‘ब्रह्मभोज’पर उपासना झा की टिप्पणी

सच्चिदानंद सिन्हा के कहानी संग्रह ‘ब्रह्मभोज’ पर युवा लेखिका उपासना झा की टिप्पणी पढ़िए- मॉडरेटर ================================================ हिंदी-साहित्य में लगातार बिना शोर-शराबे और सनसनी के भी...

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उपासना झा की कहानी ‘सारा आकाश’

इधर युवा लेखिका उपासना झा की रचनाओं ने सबका ध्यान आकर्षित किया है. विषय, भाषा, संतुलन, भाषा का संयम. उनकी रचनाओं को पढ़ते हुए यह लगता ही नहीं है कि किसी युवा लेखक को पढ़ रहे हों. जैसे यह कहानी- मॉडरेटर...

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ललित लवंगलतापरिशीलन कोमल मलय शरीरे!

आज वसंतपंचमी है. इस मौके पर युवा लेखक विमलेन्दु का यह लेख- मॉडरेटर ======================================== गीता के सातवे अध्याय के ग्यारहवें श्लोक में श्रीकृष्ण उद्घोषणा कर रहे हैं कि मैं धर्म के...

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रहस्य-अपराध की दुनिया और हिन्दी जगत का औपनिवेशिक दौर

इतिहासकर अविनाश कुमार का यह लेख हिंदी के लोकप्रिय परिदृश्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का बहुत बढ़िया आकलन है. अविनाश जी ने बीसवीं शताब्दी के आरंभिक दो दशकों के हिंदी साहित्य के सार्वजनिक परिदृश्य विषय पर...

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प्रदीपिका सारस्वत की कविताओं में कश्मीर

बहुत दिनों बाद कश्मीर पर कुछ अच्छी कविताएँ पढ़ी. कुछ कुछ अपने प्रिय कवि आगा शाहिद अली की याद आ गई. कवयित्री हैं प्रदीपिका सारस्वत. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर...

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फिल्म में लड़ाई पद्मावती के लिए नहीं बल्कि पद्मावती से है

इसमें कोई शक नहीं कि हाल के दिनों में सबसे अधिक व्याख्या-कुव्याख्या संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर हुई. बहरहाल, यह एक व्यावसायिक सिनेमा ही है और मनोरंजक भी है. इस फिल्म पर जेएनयू में...

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पद्मावत – ऐतिहासिक गल्पों की सबसे मज़बूत नायिका की कहानी

पद्मावत फिल्म को अपने विरोध-समर्थन, व्याख्याओं-दुर्व्यख्याओं के लिए भी याद किया जायेगा. इस फिल्म पर एक नई टिप्पणी लिखी है युवा लेखिका अणुशक्ति सिंह ने- मॉडरेटर ======================= पद्मावत- एक...

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भविष्य का भयावह कथानक है ‘रेखना मेरी जान’

‘रेखना मेरी जान’– रत्नेश्वर सिंह के इस उपन्यास की छपने से पहले जितनी चर्चा हुई छपने के बाद इसके अलग तरह के कथानक की चर्चा कम ही हुई. यह हिंदी का पहले उपन्यास है जिसका विषय ग्लोबल वार्मिंग है, जो केवल...

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महात्मा गांधी की प्रिय पुस्तकों की सूची

महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की वेबसाईट ‘हिंदी समय’ पर तेजी ईशा ने उन पुस्तकों की सूची प्रस्तुत की है जो महात्मा गाँधी पढ़ा करते थे. हमने सोचा अपने पाठकों से भी साझा कर लें-...

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सुरेन्द्र मोहन पाठक और ‘न बैरी न कोई बेगाना’

हिंदी क्राइम फिक्शन के बेताज बादशाह सुरेन्द्र मोहन पाठक की आत्मकथा ‘न बैरी न कोई बेगाना’ का लोकार्पण जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हुआ. इसका प्रकाशन वेस्टलैंड ने किया है. अब पाठक जी के पाठकों के लिए ख़ुशी...

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चिनार के झड़ते पत्ते और कोरिया की रानी री

प्रवीण झा नौर्वे में रेडियोलोजिस्ट हैं. शायद ही कोई ऐसा विषय है जिसके ऊपर वे न लिखते हों. इस बार जानकी पुल पर बड़े दिनों बाद लौटे हैं. एक अनूठे गद्य के साथ- मॉडरेटर...

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सुरेन्द्र मोहन पाठक और उनके पाठकों की दुनिया: कुछ अनछुए पहलू

सुरेन्द्र मोहन पाठक के आत्मकथा का पहला खंड ‘न बैरी न कोई बेगाना’ बाजार में आने वाला है. उनके पाठकों में बहुत उत्साह है. यह बात शायद लोगों को उतना पता न हो कि पाठक जी अकेले ऐसे लेखक हैं जिनका फाइन क्लब...

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कोरियाई उपन्यास ‘द वेजेटेरियन’और अनुवाद को लेकर कुछ बातें

कोरियन भाषा की लेखिका हान कांग को उनके उपन्यास ‘द वेजेटेरियन’ को प्रतिष्ठित मैन बुकर प्राइज मिला तो इस किताब की दुनिया भर में धूम मच गई. पहली बार हुआ था कि इस उपन्यास की अंग्रेजी अनुवादिका को भी लेखिका...

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‘दूसरा इश्क’की पहली ग़ज़लें

युवा शायर इरशाद खान सिकंदर के पहले इश्क का तो पता नहीं लेकिन उनका ‘दूसरा इश्क’ हाल में ही नुमाया हुआ है- ग़ज़ल संग्रह की शक्ल में. इसमें कोई शक नहीं कि वे नई नस्ल के सबसे नुमाइंदा शायरों में एक हैं....

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चिनार पत्तों पर जख़्मों की नक्काशी

गौतम राजऋषि के कहानी संग्रह ‘हरी मुस्कुराहटों वाला कोलाज’ पर कल यतीन्द्र मिश्र जी ने इतना आत्मीय लिखा कि उसको साझा करने से रोक नहीं पाया. ऐसा आत्मीय गद्य आजकल पढने को कम मिलता है- मॉडरेटर...

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शर्मिला जालान की कहानी ‘चारुलता’

आज समकालीन कहानी की एक विशिष्ट स्वर शर्मिला जालान की कहानी ‘चारुलता’. शर्मिला जी कम लिखती हैं लेकिन भीड़ से अलग लिखती हैं, रहती हैं. हाल में ही उनका कहानी संग्रह वाग्देवी प्रकाशन से आया है ‘राग-विराग...

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हृषिकेश सुलभ की कहानी ‘हबि डार्लिंग’

आज जाने माने लेखक हृषिकेश सुलभ का जन्म दिवस है. उनको पढ़ते हुए हम जैसे लेखकों ने लिखना सीखा. आज जानकी पुल की तरफ से उनको बधाई. वे इसी तरह हमें प्रेरणा देते रहें- मॉडरेटर ===========      उस रात एक आदिम...

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