क्या मार्क्सवाद ने सचमुच हिंदी साहित्य का भारी नुक़सान कर दिया?
हिंदी पत्रकारिता में दक्षिणपंथ की सबसे बौद्धिक आवाज़ों में एक अनंत विजय की किताब ‘मार्क्सवाद का अर्धसत्य’ ऐसे दौर में प्रकाशित हुई है जब 2019 के लोकसभा चुनावों में वामपंथी दलों की बहुत बुरी हार हुई...
View Articleराष्ट्रवाद के भारी बारिश की उम्मीद है
आज यह व्यंग्य पढ़िए। लिखा है सेंट स्टीफेंस कॉलेज में इतिहास के विद्यार्थी उन्नयन चंद्र ने- मॉडरेटर ============================================== भारत की लगभग 44 फ़ीसदी आबादी जल संकट से जूझ रही है....
View Article‘क्या अब भी प्यार है मुझसे?’का एक अंश
अंग्रेज़ी के लोकप्रिय लेखक रविंदर सिंह अपने हर उपन्यास में समाज की किसी समस्या को उठाते हैं और उसी के बीच उनकी प्रेम कहानी चलती है। उनके उपन्यास ‘will you still love me?’ में सड़क दुर्घटना को विषय...
View Articleउपहार सिनेमा हॉल त्रासदी: न्याय की लड़ाई और ‘अग्निपरीक्षा’
आज दिल्ली के उपहार सिनेमा ट्रेजेडी के 22 साल हो जाएँगे। 13 जून 1997 को दर्शक मैटिनी शो में बॉर्डर फ़िल्म देख रहे थे कि सिनेमा हॉल में आग लग गई। निकास द्वार की कमी के कारण बाहर निकलते समय भगदड़ में 59...
View Articleजॉन नैश को श्रद्धांजलि स्वरूप विनय कुमार की कविता
जॉन नैश को कौन नहीं जानता। Game Theory के लिए अर्थशास्त्र के नोबल से सम्मानित नैश जीते जी ही किंवदंती बन गए थे। उनके जीवन पर बनी फ़िल्म Beautiful Mind एक ऑल टाइम क्लासिक मानी जाती है। फ़िल्म ने चार...
View Articleसुजाता के उपन्यास के ‘एक बटा दो’का अंश-इन जॉयफुल हॉप ऑफ रेजरेक्शन
युवा लेखिका सुजाता का उपन्यास ‘एक बटा दो’ राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। स्त्री जीवन को लेकर लिखा गया यह उपन्यास अपने कथानक और भाषा दोनों में अलग है। इस अंश को पढ़िए और बताइएगा- मॉडरेटर...
View Articleरानी एही चौतरा पर
लेखक राकेश तिवारी का यात्रा वृत्तांत ‘पवन ऐसा डोले’ रश्मि प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। प्रस्तुत है उसी का एक अंश- मॉडरेटर रानी एही चौतरा पर ………………………….. अगले दिन सोन पार उतर कर अगोरी की ओर डोल गये।...
View Articleप्रेम और कुमाऊँनी समाज के प्रेम का उपन्यास ‘कसप’
साहित्यिक कृतियों पर जब ऐसे लोग लिखते हैं जिनकी पृष्ठभूमि अलग होती है तो उस कृति की व्याप्ति का भी पता चलता है और बनी बनाई शब्दावली से अलग हटकर पढ़ने में ताज़गी का भी अहसास होता है। मनोहर श्याम जोशी...
View Articleहे मल्लिके! तुमने मेरे भीतर की स्त्री के विभिन्न रंगो को और गहन कर दिया
अभी हाल में ही प्रकाशित उपन्यास ‘चिड़िया उड़’ की लेखिका पूनम दुबे के यात्रा संस्मरण हम लोग पढ़ते रहे हैं। आज उन्होंने वरिष्ठ लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ के चर्चित उपन्यास ‘मल्लिका’ पर लिखा है। आपके लिए-...
View Articleब्लू व्हेल’गेम से भी ज़्यादा खतरनाक है ‘नकारात्मकता’का खेल
संवेदनशील युवा लेखिका अंकिता जैन की यह बहसतलब टिप्पणी पढ़िए- मॉडरेटर ========================================== हम बढ़ती गर्मी, पिघलती बर्फ़ और बिगड़ते मानसून के ज़रिए प्रकृति का बदलता और क्रूर होता...
View Articleकिन्नौर- स्पीति घाटी : एक यात्रा-संस्मरण
कमलेश पाण्डेय वैसे व्यंग्यकार हैं लेकिन यात्रा इनका जुनून है। इनका यह यात्रा संस्मरण पढ़िए- मॉडरेटर ===================================================== पहाड़ आमतौर पर बड़े मनोरम जगह होते हैं. ख़ास कर...
View Articleयतीश कुमार की कविताएँ
आज यतीश कुमार की कविताएँ। वे मूलतः कवि नहीं हैं लेकिन उनकी इन संकोची कविताओं में एक काव्यात्मक बेचैनी है और कुछ अलग कहने की पूरी कोशिश, जीवन के अनुभवों का कोलाज है। आप भी पढ़िए- मॉडरेटर १)हम तुम एक...
View Articleजीवन जिसमें राग भी है और विराग भी, हर्ष और विषाद भी, आरोह और अवरोह भी
अनुकृति उपाध्याय के कहानी संग्रह ‘जापानी सराय’ को जिसने भी पढ़ा उसी ने उसको अलग पाया, उनकी कहानियों में एक ताज़गी पाई। कवयित्री स्मिता सिन्हा की यह समीक्षा पढ़िए- मॉडरेटर ================ कुछ कहानियां...
View Articleमुड़ मुड़ के क्या देखते रहे मनोहर श्याम जोशी?
आमतौर पर ‘जानकी पुल’ पर अपनी किताबों के बारे में मैं कुछ नहीं लगाता लेकिन पंकज कौरव जी ने ‘पालतू बोहेमियन’ पर इतना अच्छा लिखा है कि इसको आप लोगों को पढ़वाने का लोभ हो आया- प्रभात रंजन...
View Articleकबीर सिंह एब्नॉर्मल और एक्स्ट्रा नाॅॅर्मल है, उसे न्यू नॉर्मल न बनाएं
कबीर सिंह फ़िल्म जब से आई है तबसे चर्चा और विवादों में है। इस फ़िल्म पर एक टिप्पणी लेखक, कोच। पॉलिसी विशेषज्ञ पांडेय राकेश ने लिखी है- मॉडरेटर ================= कबीर सिंह एक व्यक्तित्व विकार से पीडि़त...
View Articleएक इतिहासकार की दास्तानगोई
हाल में ही युवा इतिहासकार, लेखक सदन झा की पुस्तक आई है ‘देवनागरी जगत की दृश्य संस्कृति’। पुस्तक का प्रकाशन रज़ा पुस्तकमाला के तहत राजकमल प्रकाशन से हुआ है। पुस्तक की समीक्षा पढ़िए। लेखक हैं राकेश...
View Articleप्लेन व्हाइटवाश घरों की हरी-भरी बालकनियां!
युवा लेखिका पूनम दुबे के यात्रा संस्मरण अच्छे लगते हैं। कोपेनहेगन पर उनका यह छोटा सा गद्यांश पढ़िए- मॉडरेटर ========================================================= विलियम शेक्सपियर और उनके लिखे नाटक...
View Article‘लौंडे शेर होते हैं’उपन्यास का एक अंश
आज युवा लेखन में तरह तरह के प्रयोग हो रहे हैं। कथा से लेकर शीर्षक तक तरह तरह के आ रहे हैं। युवा पाठकों को हिंदी से जोड़ पाने में इस तरह के प्रयास सार्थक भी हो रहे हैं। हिंद युग्म से ऐसा ही एक उपन्यास...
View Articleकहाँ फँस गए कमालुद्दीन मियाँ?
उषाकिरण खान हिंदी की वरिष्ठ लेखिका हैं और उनके लेखन में बहुत विविधता रही है। उनकी ताजा कहानी पढ़िए। यह कहानी उन्होंने ख़ुद टाइप करके भेजी है- मॉडरेटर ================================ कहाँ फँस गये...
View Articleमार तमाम के दौर में ‘कहीं कुछ नहीं’
मैंने अपनी पीढ़ी के सबसे मौलिक कथाकार शशिभूषण द्विवेदी के कहानी संग्रह ‘कहीं कुछ नहीं’ की समीक्षा ‘हंस’ पत्रिका में की है। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह की समीक्षा हंस के नए अंक में प्रकाशित...
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