सुरेन्द्र नाथ उर्फ़ ‘बॉम्बे सहगल’के बारे में आप कितना जानते हैं?
गुजरे जमाने के स्टार सुरेन्द्रनाथ उर्फ़ बॉम्बे सहगल को याद करते हुए एक अच्छा लेख सैयद एस. तौहीद का- मॉडरेटर ============================================================= किसी ने नहीं सोचा होगा कि वकालत...
View Articleस्वाति श्वेता की कहानी ‘अपाहिज’
स्वाति श्वेता की कहानियाँ कई पत्र-पत्रिकाओं में छप चुकी हैं। पेशे से अध्यापक स्वाति का एक कहानी संग्रह “कैरेक्टर सर्टिफ़िकेट” और एक कविता संग्रह “ये दिन कर्फ़्यू के” प्रकाशित है। अभी स्वाति गार्गी...
View Articleलोकप्रिय शैली में लिखी गंभीर कहानियां
आकांक्षा पारे बहुत जीवंत, दिलचस्प कहानियां लिखती हैं और वह बिना अधिक लोड लिए. इसीलिए कथाकारों की भीड़ में सबसे अलग दिखाई देती हैं. उनके कहानी संग्रह ‘बहत्तर धडकनें तिहत्तर अरमान’ पर एक अच्छी समीक्षा...
View Articleज़रूरी था कि हम दोनों तवाफ़-ए-आरज़ू करते…
लखनऊ के रहने वाले युवा लेखक स्कन्द शुक्ल पेशे से डॉक्टर हैं। स्कन्द शुक्ल की रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके साथ ही दो उपन्यास ‘परमारथ के कारने’ और ‘अधूरी औरत’ भी छप चुकी...
View Articleआज राहुल सांकृत्यायन को याद करने का दिन है
आज महापंडित राहुल सांकृत्यायन की 125 वीं जयंती है. उन्होंने 148 किताबें लिखीं, दुनिया भर में घूमते रहे, बौद्ध धर्म सम्बन्धी अनेक दुर्लभ पांडुलिपियाँ लेकर भारत आये. वे इंसान नहीं मिशन थे. आज उनके मिशन,...
View Articleबहुत याद आएंगे जीनियस सुशील सिद्धार्थ
सुशील सिद्धार्थ को याद करते हुए बहुवचन के संपादक अशोक मिश्र ने बहुत अच्छा लिखा है. पढियेगा- मॉडरेटर ================================================================= सुशील सिद्धार्थ के अचानक निधन की...
View Articleराहुल तोमर की कविताएँ
जानकी पुल के मॉडरेटर होने का असली सुख उस दिन महसूस होता है जिस कुछ दिल को खुश कर देने वाली रचनाएं पढने को मिल जाती हैं. ऐसी रचनाएं जिनमें कुछ ताजगी हो. खासकर कविता में ताजगी देगे का अहसास हुए ज़माना...
View Articleख़ला के नाम पर जितने ख़ुदा थे, मर चुके हैं
निस्तब्ध हूँ. त्रिपुरारि की इस नज्म को पढ़कर- मॉडरेटर ================================ गैंग-रेप / त्रिपुरारि ये मेरा जिस्म इक मंदिर की सूरत है जहाँ पर रोज़ ही अब रूह का गैंग-रेप होता है मुझे महसूस...
View Articleआंबेडकर- विचार भी, प्रेरणाशक्ति भी
जहाँ तक मेरी समझ है डॉ. भीमराव आम्बेडकर आधुनिक भारत के सबसे तार्किक और व्यावहारिक नेता थे. वे सच्चे अर्थों में युगपुरुष थे. वे जानते थे कि भारतीय समाज में स्वाभाविक रूप से बराबरी कभी नहीं आ सकती इसलिए...
View Articleरामकुमार की कहानी ‘चेरी के पेड़’
आज मूर्धन्य चित्रकार रामकुमार का निधन हो गया. 94 साल की भरपूर जिंदगी जीकर जाने वाले रामकुमार बहुत अच्छे कथाकार भी थे. वे हिंदी के महान लेखक निर्मल वर्मा के बड़े भाई थे. उनके अनेक समकालीन लेखक यह मानते...
View Articleसोचा ज़्यादा किया कम उर्फ एक गँजेड़ी का आत्मालाप
विमल चन्द्र पाण्डेय की की लम्बी कविता. लम्बी कविता का नैरेटिव साध पाना आसान नहीं होता. स्ट्रीम ऑफ़ कन्सशनेस की तीव्रता का थामे हुए कविता के माध्यम से एक दौर की टूटन को बयान कर पाना आसान नहीं होता. बहुत...
View Articleचार्ली चैपलिन की जयंती पर विशेष
आज चार्ली चैपलिन की जयंती है. ऐसे में उनकी फिल्म ‘द किड’ को याद किया है युवा फिल्म अध्येता सैयद एस. तौहीद ने. आजकल बच्चों को लेकर जिस तरह हमारे समाज की संवेदना छीजती जा रही है वैसे में इस फिल्म को याद...
View Articleसमय से परे अपने समाज को देखने को उम्दा कोशिश
पिछले 25 साल के उपन्यास लेखन की सबसे बड़ी पहचान अलका सरावगी के नए उपन्यास ‘एक सच्ची झूठी गाथा’ पर सुधांशु गुप्त की यह टिप्पणी. अलका सरावगी का यह उपन्यास राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है- मॉडरेटर...
View Articleपूनम अरोड़ा की कहानी ‘स्मृतियों की देह में पूर्वजों के कांपते शोकगीत’
श्री के नाम से लिखने वाली पूनम अरोड़ा अपनी कहानियों में एक ऐसा लोक रचती हैं जो बार बार अपनी ओर खींचता है। कई कहानियाँ अपने परिवेश, अपनी भाषा के लिए भी पढ़ने का मन करता है। इस लिहाज से पूनम अपने दौर की...
View Articleबाज़ार के चंगुल में फंसे भयावह समय का कथानक ‘पागलखाना’
ज्ञान चतुर्वेदी के उपन्यास ‘पागलखाना’ पर राहुल देव की टिप्पणी. बहुत बारीकी से उन्होंने इस उपन्यास को हमारे लिए खोला है. एक आदर्श समीक्षा का नमूना. चाहे आप सहमत हों या असहमत लेखक का लिखा प्रभावित कर...
View Articleसूरज बड़त्या की कहानी ‘कबीरन’
हाल के वर्षों में दलित साहित्य में सूरज बड़त्या ने अच्छी पहचान बनाई है. आज उनकी एक कहानी आपके लिए- मॉडरेटर ======================================================= अक्सर वह सुमेघ को ट्रेन में दिखायी दे...
View Article‘बौद्धिक स्लीपर सेल‘, जो पूरा परिदृश्य बदल दे
पुष्प रंजन ईयू-एशिया न्यूज़ के नई दिल्ली संपादक हैं और हिंदी के उन चुनिन्दा पत्रकारों में हैं जिनकी अंतरराष्ट्रीय विषयों पर पकड़ प्रभावित करती है. मेरे जैसे हिंदी वालों के लिए बहुत ज्ञानवर्धक होती है....
View Articleबिहार संवादी ने बिहार साहित्य में खींच दी एक दीवार
बिहार की राजधानी पटना में संपन्न हुए ‘जागरण संवादी’ अनेक कारणों से वाद-विवाद में बना रहा. तमाम चीजों के बावजूद मैं यह कह सकता हूँ कि पहले ही साल बिहार में ‘जागरण संवादी’ ने खुद को एक ब्रांड के रूप में...
View Articleअकेलेपन और एकांत में अंतर होता है
‘अक्टूबर’ फिल्म पर एक छोटी सी टिप्पणी सुश्री विमलेश शर्मा की- मॉडरेटर ============================================ धुँध से उठती एक महीन धुन,शाख़ पर खिलता फूल , टूट कर बिखरता चाँद हो या फिर पत्तों की...
View Articleएक भुला दी गई किताब की याद
धर्मवीर भारती के उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ को सब याद करते हैं लेकिन उनकी पहली पत्नी कांता भारती और उनके उपन्यास ‘रेत की मछली’ का नाम कितने लोगों ने सुना है? असल में यह उपन्यास टूटते-बिखरते दांपत्य को...
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