अनघ शर्मा की कहानी अब यहाँ से लौट कर किधर जायेंगे!
अनघ शर्मा युवा लेखकों में अपनी अलग आवाज़ रखते हैं। भाषा, कहन, किस्सागोई सबकी अपनी शैली है उनकी। यह उनकी नई कहानी है। पढ़कर बताइएगा- मॉडरेटर ============ 1 पिछली सर्दियों की बर्फ़ अब पिघलने लगी थी। पहाड़...
View Articleफ़िल्म गाइड की कहानी आर के नारायण की ज़ुबानी
अभी दो दिन पहले मैंने वहीदा रहमान से बातचीत पर आधारित नसरीन मुन्नी कबीर की किताब के हवाले से गाइड फ़िल्म की चर्चा फ़ेसबुक पर की थी। उसमें यह लिखा था कि अंग्रेज़ी में बनी ‘गाइड’ की पटकथा मशहूर लेखिका...
View Articleलॉकडाउन की इंग्लैंड डायरी
प्रज्ञा मिश्रा इंग्लैंड में रहती हैं और वहाँ के लॉकडाउन अनुभवों को उन्होंने दर्ज करके भेजा है। आप भी पढ़ सकते हैं- जानकी पुल। ========================= पूरे तीन महीने बाद शहर के बाजार जाने का मौका...
View Article‘मुझे चाँद चाहिए’पढ़ते हुए कुछ कविताएँ
मुझे याद है बीसवीं शताब्दी के आख़िरी वर्षों में सुरेन्द्र वर्मा का उपन्यास ‘मुझे चाँद चाहिए’ प्रकाशित हुआ था। नाटकों-फ़िल्मों की दुनिया के संघर्ष, संबंधों, सफलता-असफलता की कहानियों में गुँथे इस...
View Articleदिल्ली की सूफी दरगाहें और दिलों के राहत का सामान
आजकल दिल्ली में सड़कों पर दरबदर भटकते इंसान दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में दिल्ली की सूफ़ी दरगाहों की याद आई, जहां ग़रीबों को खाना खिलाना इबादत के हिस्से की तरह रहा है। यह सूफ़ी परम्परा का हिस्सा रहा है।...
View Articleबेगम समरु और दिल्ली का इतिहास
हाल में राजगोपाल सिंह वर्मा की किताब आई ‘बेगम समरु का सच’। संवाद प्रकाशन से आई यह किताब तथ्यात्मक इतिहास नहीं है बल्कि औपन्यासिक शैली में लिखा गया उस युग का जीवंत कथानक है। इस पुस्तक की भूमिका...
View Articleनियति का अर्थ है पैतृकता की पहचान
कैलाश दहिया आजीवक विचारक हैं और अपने इस लेख में उन्होंने नियति के सिद्धांत पर विचार करते हुए धर्मों में स्थापित भाग्यवाद की तार्किक आलोचना की है। एक ज्ञानवर्धक लेख पढ़ा इसलिए साझा कर रहा हूँ- जानकी...
View Article‘रसीदी टिकट’ के बहाने अमृता को जैसा जाना मैंने!
चित्र साभार: कोबो.कॉम कुछ कृतियाँ ऐसी होती हैं हिन्हें पढ़ते हुए हर दौर का पाठक उससे निजी रूप से जुड़ाव महसूस करते हुए भावनाओं में बह जाता है। प्रत्येक पाठक उस रचना का अपना पाठ करता है। ऐसी ही एक कृति...
View Articleबेटी सूफ़िया की निगाह में लेखक शानी
‘काला जल’ जैसे उपन्यास के लेखक शानी के बारे में आजकल कम लिखा जाता है, सुना जाता है। हम विस्मृति के दौर में जी रहे हैं। गुलशेर ख़ाँ शानी के तीन बच्चों में शहनाज़, सूफ़िया और फ़िरोज़ हैं। सूफ़िया दिल्ली...
View Articleवैधानिक गल्प:बिग थिंग्स कम इन स्माल पैकेजेज
चंदन पाण्डेय का उपन्यास ‘वैधानिक गल्प’ जब से प्रकाशित हुआ है इसको समकालीन और वरिष्ठ पीढ़ी के लेखकों ने काफ़ी सराहा है, इसके ऊपर लिखा है। शिल्प और कथ्य दोनों की तारीफ़ हुई है। यह टिप्पणी लिखी है...
View Articleभारतेंदु युग की लेखिका मल्लिका और उनका उपन्यास ‘सौंदर्यमयी’
चित्र साभार: भारतेंदु समग्र, सं. हेमंत शर्मा भारतेंदु युग की लेखिका मल्लिका को लेखिका कम भारतेंदु की प्रेमिका के रूप में अधिक दिखाया गया है। लेकिन युवा शोधार्थी सुरेश कुमार ने अपने इस लेख में मल्लिका...
View Articleबेवफ़ा नायिकाओं का वफ़ादार उपन्यासकार दत्त भारती
फ़िल्म ‘प्यासा’ एक ऐसे शायर की कहानी है जो अपनी पहचान बनाने की जद्दोजहद में है। असल में, इस बात को कम ही लोग जानते हैं कि यह फ़िल्म मूल रूप से उर्दू में लिखे गए एक उपन्यास ‘चोट’ पर बनी थी, जिसके लेखक...
View Articleबच्चों को न सुनाने लायक एक बालकथा: मृणाल पाण्डे
जानी-मानी लेखिका मृणाल पांडे पारम्परिक कथा-साँचों में आधुनिक प्रयोग करती रही हैं। इस बार उन्होंने एक पारम्परिक बाल कथा को नए बोध के साथ लिखा है और महामारी, समकालीन राजनीति पर चुभती हुई व्यंग्य कथा बन...
View Article‘श्वेत’बहुत माहौल में ‘अश्वेत’अनुभव
मिशेल ओबामा की आत्मकथा ‘बिकमिंग’ बेहतरीन किताब है, प्रेरक भी। अल्पसंख्यक(अश्वेत) समाज में पैदा होकर भी आप संघर्ष करते हुए मुख्यधारा में अपनी जगह बना सकते हैं। शिकागो के अश्वेत समुदाय से निकलकर अमेरिका...
View Articleअलेक्सान्द्र पूश्किन की कहानी ‘डाकचौकी का चौकीदार’
अलेक्सान्द्र पूश्किन की आज जयंती है। महज़ 38 साल की आयु में दुनिया छोड़ देने वाले इस कवि-लेखक की एक कहानी पढ़िए। अनुवाद किया है आ. चारुमति रामदास ने- =============== मुंशी सरकार का, तानाशाह डाकचौकी का...
View Articleबेटी रचना की निगाह में राजेंद्र यादव
रचना यादव हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित और विवादास्पद लेखक राजेन्द्र यादव और मशहूर कथालेखिका मन्नू भंडारी की बेटी हैं। रचना ने एडवर्टाइजिंग में मास कम्यूनिकेशन से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। फिर एडवर्टाइजिंग...
View Articleमृदुला शुक्ला की कहानी ‘सगुनी’
कल फ़ेसबुक लाइव में प्रसिद्ध लेखिका प्रतिभा राय को सुन रहा था। उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं लिखा जिसका उनको अनुभव न रहा हो। असल में यह अनुभव लेखक का ऑबजर्वेशन होता है। लेखिका मृदुला शुक्ला...
View Article’90s किड’की निगाह में बासु चटर्जी का सिनेमा
बासु चटर्जी की फ़िल्मों को आज का युवा वर्ग किस तरह देखता है। 90 के दशक में जन्मा, पला-बढ़ा वर्ग। इसकी एक झलक इस लेख में है। लिखा है दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने वाली भूमिका सोनी...
View Articleकथाकार कमलेश्वर : दुष्यन्त कुमार की दृष्टि से
पहले लेखक एक दूसरे के ऊपर खुलकर लिखते थे फिर भी दोस्तियाँ क़ायम रहती थीं। प्रसिद्ध शायर दुष्यंत कुमार ने यह विश्लेषण अपने दोस्त और लेखक कमलेश्वर का किया था। कमलेश्वर की ‘समग्र कहानियाँ’ से ले रहा हूँ...
View Articleसुश्री आशकारा ख़ानम ‘कश्फ़’की ग़ज़लें
प्रख्यात कवयित्री और शिक्षाविद् सुश्री आशकारा ख़ानम ‘कश्फ़’ दिल्ली में रहती हैं। वह उनके पति, श्री सुहैब फारूकी (दिल्ली पुलिस अधिकारी) से बहुत प्रेरित हैं, जो स्वयम हिन्दी, उर्दू के प्रसिद्ध कवि व...
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