पूनम सोनछात्रा की दस कविताएँ
आज पढ़िए जानी मानी युवा कवयित्री पूनम सोनछात्रा की दस कविताएँ- ==================== #1 मूक संवाद “ख़याल रखिए अपना” ये उसे दुनिया का सबसे आसान और घिसा-पिटा वाक्य मालूम होता है जबकि मेरे लिए ये...
View Articleमृणाल पाण्डे की कहानी ‘गाय पर कहानी’
आज पढ़िए प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे की नई कहानी। आज के संदर्भों में एक चुभता हुआ व्यंग्य- ========================== मेरी पत्नी को एक गाय चाहिये। एक बेटा उसे मिल चुका है। मेरी पत्नी विनी कंप्यूटर...
View Articleमनोहर श्याम जोशी और सोप ऑपेरा के आखिरी दिन!
आज यानी 30 मार्च को हिंदी में अपने ढंग के अकेले लेखक मनोहर श्याम जोशी की पुण्यतिथि है. देखते देखते उनके गए 16 साल हो गए. आइए पढ़ते हैं उनके सोप ओपेरा लेखन के दिनों को लेकर एक छोटा सा संस्मरण- प्रभात...
View Articleउर्मिला गुप्ता का लेख ‘आधा आसमान’
आज पढ़िए उर्मिला गुप्ता का यह लेख जो अनुवाद के बहाने आधी आबादी की बात को बड़ी गम्भीरता से उठाने वाली है। उर्मिला गुप्ता अनुवादक, संपादक हैं। आइए उनका लेख पढ़ते हैं- ===================================...
View Articleकांदुर कड़ाही: चूल्हे-चौके से बाहर रौशन होती एक दुनिया
नाटककार, अभिनेत्री विभा रानी का उपन्यास आया है ‘कांदुर कड़ाही’। यह हिंदी में अपने ढंग का अनूठा उपन्यास है। कश्मीर और बिहार की दो विस्थापित स्त्रियों की स्मृतियाँ हैं, देश भर की रेसिपी है और अपनापे की...
View Articleविमलेश त्रिपाठी का स्तम्भ ‘एक गुमनाम लेखक की डायरी’-1
आज युवा कवि विमलेश त्रिपाठी का जन्मदिन है। आज के दिन वे जानकी पुल के लिए एक साप्ताहिक स्तम्भ लिखेंगे। ‘एक गुमनाम लेखक की डायरी’ नामक स्तम्भ की पहली किस्त पढ़िए- ======================= मेरा जन्म ऐसे...
View Articleक़स्बाई जीवन और शहर में विस्थापित लोक
आज पढ़िए विनोद पदरज के कविता संग्रह पर टिप्पणी। संभावना प्रकाशन से प्रकाशित उनके संग्रह ‘आवाज़ अलग-अलग है’ पर यह टिप्पणी लिखी है युवा कवि देवेश पथ सारिया ने- ============ विनोद पदरज लोक जीवन के कवि...
View Articleविनोद शाही की ग्यारह कविताएं
आज पढ़िए जाने माने कवि-आलोचक विनोद शाही की कविताएँ। समकालीन संद्र्भों में प्रासंगिक कविताएँ- ======================= 1 प्रगति के अंडे एक फूल खिला वनस्पति की एक तितली उग आई। एक प्रेमी ने कहा,...
View Articleकोबाल्ट ब्लू : लेबलिंग से पूरी तरह से गुरेज
नेटफलिक्स पर एक फिल्म है ‘कोबाल्ट ब्लू’, इसकी बहुत अच्छी समीक्षा लिखी है किंशुक गुप्ता ने। किंशुक गुप्ता मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ लेखन से कई वर्षों से जुड़े हुए हैं। अंग्रेज़ी की...
View Articleविशाखा मुलमुले की कुछ कविताएँ
विशाखा मुलमुले समकालीन कविता का जाना-पहचाना नाम है। आज उनकी कुछ कविताएँ पढ़िए- ================= 1 ) जाने तक के लिए —————————- जाने तक के लिए फूलों तुम दिखला दो अपनी रंग सुगन्ध कपास तुम घेर लो बन...
View Articleपहले प्रेम की दारुण मनोहारी वेदना का आख्यान : ‘कॉल मी बाई योर नेम’ और...
हाल में आई फ़िल्म ‘कोबाल्ट ब्लू’ और तक़रीबन पाँच साल पुरानी फ़िल्म ‘कॉल मी बाई योर नेम’ पर यह टिप्पणी युवा लेखिका और बेहद संवेदनशील फ़िल्म समीक्षक सुदीप्ति ने लिखी है। सुदीप्ति फ़िल्मों पर शानदार...
View Articleविमलेश त्रिपाठी का स्तम्भ एक गुमनाम लेखक की डायरी-2
आज पढ़िए युवा कवि विमलेश त्रिपाठी की आत्मकथा की दूसरी किस्त। वे जानकी पुल के लिए यह साप्ताहिक स्तम्भ लिख रहे हैं- ===================== शब्दों की दुनिया ही हमारा आसरा खेत-बधार और गली-गांव से अधिक की...
View Articleकोरोना-काल में मातृ-साया की कहानी बयां करती ‘आंधारी’
प्रसिद्ध लेखिका नमिता गोखले के उपन्यास ‘द ब्लाइंड मैट्रीआर्क’ के हिंदी अनुवाद ‘आंधारी’ पर यह टिप्पणी लिखी है युवा लेखक-पत्रकार ने। आप भी पढ़िए- ======================== आंधारी; अस्सी साल की एक...
View Articleनमन नारायण की कहानी ‘टाइमपास’
21 वर्षीय नमन नारायण की टिप्पणियाँ हम पहले भी जानकी पुल पर पढ़ते रहे हैं। इस बार उसकी एक छोटी सी कहानी पढ़िए। किशोर जीवन के अनुभवों को लेकर हिंदी में कम कहानियाँ लिखी गई हैं। यह एक दिलचस्प कहानी है-...
View Articleउज़्मा कलाम की कहानी ‘बिन शौहर’
आज पढ़िए उज़्मा कलाम की कहानी। उज़्मा ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया और दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है और जोधपुर में एक संस्था के लिए काम करती हैं। लिखने के अलावा चित्रकारी का शौक़ रखती...
View Article‘कुछ पाने की ज़िद’है मनोज बाजपेयी की संघर्ष गाथा
वरिष्ठ पत्रकार पीयूष पांडे ने प्रसिद्ध अभिनेता मनोज बाजपेयी की जीवनी लिखी है। पेंगुइन रैंडम हाउस से प्रकाशित इस जीवनी में मनोज बाजपेयी के प्रेरक जीवन के बारे में पीयूष पांडे ने काफ़ी प्रामाणिक लिखा...
View Articleइजाडोरा की प्रेमकथा की काव्यात्मक समीक्षा
यतीश कुमार ने पुस्तकों की काव्यात्मक समीक्षा की एक शैली विकसित की। आज लम्बे समय के बाद उन्होंने पुनः एक पुस्तक की समीक्षा की है। पुस्तक है इज़ाडोरा डंकन की आत्मकथा ‘my life’ के हिंदी अनुवाद ‘इज़ाडोरा...
View Articleप्रमोद द्विवेदी की कहानी ‘माता जी मत कहो प्लीज…’
प्रमोद द्विवेदी की कहानियों की विषयवस्तु और भाषा दोनों का अपना ही अन्दाज़ है। ‘जनसत्ता’ के फ़ीचर संपदक रहे इस लेखक ने कम लिखा है लेकिन इनके लेखन की अलग ही छाप है। उनकी नई कहानी पढ़िए-...
View Articleविमलेश त्रिपाठी का स्तम्भ एक गुमनाम लेखक की डायरी-3
युवा कवि विमलेश त्रिपाठी अपनी जीवन यात्रा को दर्ज कर रहे हैं। गाँव के छूटे हुए दिनों को बड़ी शिद्दत से याद कर रहे हैं। आज तीसरी किस्त पढ़िए- ==================== लगातार मनुष्यता की ओर यात्रा करने वाला...
View Articleअनुकृति उपाध्याय की कहानी ‘हरसिंगार के फूल’
ओर्गैज्म को लेकर चल रही सार्थक बहस के दौरान मुझे लेखिका अनुकृति उपाध्याय की इस कहानी की याद आई। यह कहानी उनके कहानी संग्रह ‘जापानी सराय’ में सम्मिलित है। हिंदी में ओर्गैज्म को लेकर शायद इससे अच्छा कुछ...
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