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मृणाल पाण्डे की कहानी ‘गाय पर कहानी’

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आज पढ़िए प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे की नई कहानी। आज के संदर्भों में एक चुभता हुआ व्यंग्य-

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मेरी पत्नी को एक गाय चाहिये। एक बेटा उसे मिल चुका है। मेरी पत्नी विनी कंप्यूटर साइंटिस्ट है। बेटा उसने तब पैदा किया, जब उसे पक्का यकीन हो गया कि डिजिटल वैज्ञानिक रूप से घर बैठे काम करते हुए वह बहुत सारा कमा खा-खिला सकती थी। पसीने से मंह मंह मेट्रो या बस या ऊबर से दफ्तर जा कर दिन भर खटनेवालों की कल्पना से कतई बाहर। दूषित शहर से दूर एक बड़ा सा फार्म हाउस खरीदा गया ताकि बच्चा खुली हवा में पले। इस जगह में मुझे हाउस हसबैंड बनने से एतराज़ नहीं। एक कमरे में मेरी लिखने की मेज़ और लैपटॉप है। उसके सामने खिडकी से लगातार चलती सड़क दिखती है। विनी काम करती है। बच्चा उसी के गिर्द गुलगुलाता फिरता है। मामा मामा मामा करते हुए।

इधर कुछ दिनों से मेरी आंखों के सामने विनी पुत्र मोह में सनातनी हिंदू बनती चली जा रही है।बेटे को हमने शहर के नामी स्कूल में डाला था| कोविड के बीच भी वहाँ उसे नवीनतम तकनीकी साधनों से ऑनलाइन से पढाया जाता रहा। हम जैसे माँ बापों के पास उत्तमोत्तम नेटवर्क पहले से लगा हुआ था।उसके स्कूल के हर बच्चे के घर में भी यही था। हरेक का अपना अलग कमरा, अपना अलग कंप्यूटर था और साइबर दुनिया के बेहतरीन ट्यूटोरियल भी उनको उपलब्ध थे।

पर जो मैं नहीं भांप सका वह यह कि हौले हौले मेरा बेटा और फिर विनी साइबर स्पेस में घोंटे जा रहे विराट् नव सनातनी हिंदुत्व के चेले चेली बनते चले गये।

बेटे को गायों से बहुत लगाव हो गया। उसने अपनी मम्मा से कहा कि उसे अपने सही मानसिक संस्कार के लिये काली गाय का ताज़ा ऑर्गैनिक दूध पीना होगा। वह भी जर्सी गाय का नहीं, सर्टिफाइड भारतीय गोवंश की ही गाय का। फार्म हाउस में जगह की कमी न थी। हरियाणवी चौकीदार ने माता पुत्र को भरोसा दिलाया था कि वह गैया ले भर आयें, वह माता की सेवा टहल में कोई कसर न रहने देगा।

सो मेरे ज़िम्मे नया काम आन पडा। पता करूं बढिया भारतीय गोवंश की गाय कहाँ से प्राप्त की जा सकती है। गूगल ने कई प्रजातियां गिनाईं: साहीवाल, गिर, लाल सिंधी, कांकरेज, राठी, देवनी, मालाणी, नीमरी। विनी ने विस्फारित आंखों से बताया कि उसके एक मित्र घोड़ा  डाक्टर( गो विनी को इस विशेषण पर एतराज़ हुआ) डा.शुक्ला के अनुसार हिंदू को हाइब्रिड नहीं चलेगी। लेनी हो तो सबसे बेस्ट गुजरात की विशुद्ध गिर नस्ल की गाय ही लेनी चाहिये।

दाम? अजी दाम तो हाइब्रिड से थोडा जियादे है, पर इन दिनों माली तंगी में भला सा डिसकाउंट मिल जायेगा। कोई 60 हज़ार से लाख तक कीमत बैठेगी। पर दूध अहाहा एकदम सोने जैसा पीला! एक साइट का किसानी जंक्शन या कुछ ऐसा ही लिंक भी उनने भेजा था।

जाकर देखा। इस देसी गाय का दूध गुजरात में 60 रु लीटर लेकिन बिहार में इससे दूनी कीमत का बिकता है। और विशेषज्ञों के अनुसार उसके गोमूत्र में भी स्वर्ण का अंश होता है। इसलिये कुछ विशेषज्ञ 5000 गिर नस्ल की गायवाली गोशाला बनाने की कोशिश में हैं। बन गई तो गिर गाय के गोमूत्र से सोना निकालने के लिये खास संयंत्र लगाया जायेगा। मैं खोज कर भी इन कीमियागर विशेषज्ञों की बाबत जानकारी नहीं पा सका। पर उससे क्या विनी और बेटे ने कहा? गाय तो माता है। उसके गोबर से कंडे, हवन सामग्री और वर्मी कंपोस्ट भी मिल जाते हैं। गोमूत्र पर अपुष्ट प्रमाणों के चलते अलबत्ता उस पर मेरा वीटो स्वीकार कर लिया गया।

फिर और आगे चला। लिंक में आगे दी गई एक लिंक से मथुरा के एक पशु मेले के दफ्तर की साइट खोली। वहाँ से यह भी जानकारी मिली कि पशु को खुरपका और मुंहपका रोग निरोधी टीका लगवाने से उसे वहीं पर मुफ्त में पशु आधार कार्ड या इलेक्ट्रॉनिक टैग भी मिल जाता है।

बस फिर क्या था? राज हठ और बाल हठ और त्रिया हठ तीन तीन तोपें मेरी तरफ मुड गईं।

नाम क्या रखोगे? बेटे से पूछा। जवाब विनी ने दिया, भवानी।

मुझे आपत्ति हुई। कभी गिर नस्ल की वह कीमती गो माता खो गई तो इस उम्र में भवानी माता, ओ भवानी माता, पुकारता मैं क्या भला लगूंगा? पडोस के दूधियों से, यार हमारी भवानी कहीं देखी? जैसा सवाल अलग मज़ाक बनवायेगा।

फिर मैंने ठोस तथ्यपरक सवाल उठाया। घर में बहुत कर के तीन किलो दूध लगेगा। वह गाय देगी बीसेक लीटर। बाकी का क्या होगा? बाँट देंगे, मंदिर में दे देंगे।

यार सनातनी बन कर इतने साल तो तुम जन्माष्टमी शिवरात्रि पर मंदिर में पैकेटवाला दूध चढाती रही। खुद तुम फैट बढने के डर से सोया दूध पीती हो। बेटे को बादाम मिल्क देती हो।

उससे क्या?

बाकी वक्त गाय का तू क्या करेगा? बेटे से पूछा। वह कुत्ता तो नहीं कि फेंकी गेंद वेंद उठा लाये या ताल तलैया में तैरे?

गहराई में गया तो पशु विक्रेता से चैट शुरू हुआ।

पूछना चाहता था कि क्या इतनी कीमती गाय के साथ उसके खान-पान की कोई जानकारी, कोई पूजा पुस्तिका जिसमें गोबर के कंडे बनाने, हवन शवन के निर्देश हों भी गाहकों को मिलेंगे? क्या (आंख मार कर ) कोई अवैध किसम की, यानी उनकी कंपनी की साइट पर मॉडल फ्लोर सांपल की बतौर तस्वीरों में दिखाई गई कोई काली गिर गाय भारी डिस्काउंट पर होगी? बस यूं ही। बाय दि वे यार!

तीस साल पहले मैंने सीखने के लिये अपने दोस्त भवान के साथ बडे भाई की नई हीरो साइकिल चुराई थी। बाय वे ऑफ प्रिकॉशन माथे पर सिंदूर का टीका लगा लिया। कोई पूछे तो बहाना बना देंगे बजरंग बब्बा की मडैया पर बताशा चढाने जा रहे हैं। पर धर्म मुझे कभी नहीं लहा। पहले कानी कुतिया भूरी ने हमको दूर तक दौड़ाया। उससे निबटे तो सायकिल से एक स्कूटर टकरा गया। स्कूटर ताऊ जी चला रहे थे। बजरंग बब्बा वाला बहाना उन्होने तुरत ताड़ लिया। सालो, ये बाल धूप में सफेद नहीं हुए। कहाँ हैं बताशे।

भवान सदा का गंवार, बोल गया हमने खा लिये।

ताऊ जी का पारा सौ के पार! पहले उनसे, फिर कान पकड़ कर घर लाये जाकर बाबूजी से भर कान भर गालियाँ (और पक्का याद नहीं तमाचे वगैरा भी) पाये थे। घर से खबर रसोई तक गई, तो भवान के दुर्वासा बाप दौलत महाराज ने भी मां बहन करते हुए बाहर आकर उसका गाल सुजा दिया था।साले हरामखोर बजरंगबली के नाम पर झूठ बोलता है? तेरी तो …

बैंक से काली गिर गाय के दाम स्वरूप पिच्चानब्बे हज़्ज़ार रुपैया किसान जंक्शन डॉट कॉम को ट्रांसफर करते समय जाने क्यों यह पुरानी याद आ गई।

पर विनी या बेटे को यह बात बताने की हिम्मत नहीं हुई। उस साइकिल छाप हँसी-मज़ाक का ज़माना बीत चुका।

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