मिखाइल बुलगाकोव के उपन्यास ‘मास्टर एंड मार्गारीटा’का अंश ‘मुर्ग़े की बदौलत’
मिखाइल बुलगाकोव के उपन्यास ‘मास्टर एंड मार्गारीटा’ का रूसी साहित्य में अलग स्थान रहा है। मूल रूसी से इस उपन्यास का अनुवाद करने वाली आ चारुमति रामदास ने ध्यान दिलाया कि दशकों पहले इन्हीं दिनों एक...
View Articleसंतराम बी.ए. के बारे में आप कितना जानते हैं?
सुरेश कुमार युवा शोधकर्ता हैं और 19वीं सदी के उत्तरार्ध से लेकर 20वीं सदी के पूर्वार्ध के अनेक बहसतलाब मुद्दों, व्यकतियों के लेखन को अपने लेखों के माध्यम से उठाते रहे हैं। संतराम बीए पर उनका यह लेख...
View Articleकविता शुक्रवार 6: शिरीष ढोबले की कविताएँ
इस बार ‘कविता शुक्रवार’ में अपनी अलग पहचान के कवि शिरीष ढोबले की नई कविताएं और प्रख्यात चित्रकार अखिलेश के रेखांकन। शिरीष ढोबले का जन्म इंदौर में 1960 में हुआ था। वे पेशे से ह्रदय शल्य चिकित्सक हैं।...
View Articleपेरियार की दृष्टि में रामकथा
पेरियार ई.वी. रामासामी की किताब ‘सच्ची रामायण’ का प्रकाशन हुआ है। लॉकडाउन के बाद पुस्तकों के प्रकाशन की शुरुआत उत्साहजनक खबर है। पेरियार की दो किताबों के प्रकाशन के साथ राजकमल प्रकाशन ने पाठकोपोयोगी...
View Articleठगिनी नैना क्यों झमकावै
माताहारी का नाम हम सुनते आए हैं। उसकी संक्षिप्त कहानी लिखी है त्रिलोकनाथ पांडेय ने। त्रिलोकनाथ जी जासूसी महकमे के आला अधिकारी रह चुके हैं। अच्छे लेखक हैं। आइए उनके लिखे में माताहारी की कहानी पढ़ते...
View Articleखीर: एक खरगोश और बगुलाभगत कथा: मृणाल पाण्डे
प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे आजकल बच्चों को न सुनाने लायक़ बालकथाएँ लिख रही हैं। आज सातवीं कड़ी में जो कथा है उसको पढ़ते हुए समकालीन राजनीति का मंजर सामने आ जाता है। आप भी पढ़कर राय दें-...
View Articleवैद प्रश्न, प्रतिवाद और प्रति-प्रतिवाद के लेखक हैं
आज अनूठे लेखक कृष्ण बलदेव वैद की जयंती है। जीवित होते तो 92 साल के होते। उनके लेखन पर एक सूक्ष्म अंतर्दृष्टि वाला लेख लिखा है आशुतोष भारद्वाज ने। उनका यह लेख ‘मधुमती’ पत्रिका के नए अंक में प्रकाशित...
View Articleआज भी तुलसी दास एक पहेली हैं
कल महाकवि तुलसीदास की जयंती मनाई जा रही थी। प्रेम कुमार मणि का यह लेख कल पढ़ने को मिला। प्रमोद रंजन ने एक ग्रुप मेल में साझा किया था। आप भी पढ़िए। प्रेम कुमार मणि के लेखन का मैं पहले से ही क़ायल रहा...
View Articleखुल्लमखुल्ला खुफियागीरी
जाने माने लेखक त्रिलोकनाथ पांडेय का यह लेख उनके प्रिय विषय खुफियागिरी पर है। वे गुप्तचर सेवा के उच्च अधिकारी रहे और आजकल पूर्णरूप से लेखन कार्य में जुटे हैं। =================== पिछली सदी उतर रही थी...
View Articleसाधु समाज और राष्ट्रीयता का अंतर्द्वंद्व
साधु समाज पर इतनी गहरी अंतर्दृष्टि वाला लेख पहली बार पढ़ा। आम तौर पर इस विषय को इतिहास, साहित्य में कम ही छेड़ा जाता है। इसको लिखा है नितिन सिन्हा ने। नितिन सिन्हा Leibniz-Zentrum Moderner Orient,...
View Articleकविता शुक्रवार 7: अरुण आदित्य की कविताएं और कमलकांत के रेखांकन
अरुण आदित्य का जन्म 1965 में प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश में हुआ। अवध विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद विधि की पढ़ाई करने इलाहाबाद विश्वविद्यालय का रुख किया, लेकिन इलाहाबाद ने...
View Articleप्रेमचंद का पत्र जयशंकर प्रसाद के नाम
आज प्रेमचंद की जयंती पर उनका यह पत्र पढ़िए जयशंकर प्रसाद के नाम है। उन दिनों प्रेमचंद मुंबई में थे और फ़िल्मों के लिए लेखन कर रहे थे- ======================= अजंता सिनेटोन लि. बम्बई-12 1-10-1934...
View Articleहंस प्रकाशन राजकमल प्रकाशन परिवार का हिस्सा बना
प्रेमचंद के पुत्र अमृत राय द्वारा 1948 में स्थापित हंस प्रकाशन आज से राजकमल प्रकाशन समूह का हिस्सा हो गया है। प्रेमचंद की जयंती के दिन की यह उल्लेखनीय घटना है। हंस प्रकाशन का ऐतिहासिक महत्व रहा है और...
View Articleनिधि अग्रवाल की कहानी ‘सड़क पार की खिड़कियाँ’
निधि अग्रवाल पेशे से चिकित्सक हैं और बहुत अच्छी गद्यकार हैं। मैत्रेयी देवी के उपन्यास ‘न हन्यते’ पर उनका लिखा पाठकों को याद होगा। यह कहानी है जो सम्मोहक भाषा में अपने साथ बहाए ले जाती है। पढ़िएगा-...
View Articleटॉल्स्टॉय, गोर्की और प्रेमचन्द: एक त्रिकोण
प्रेमचंद जयंती कल थी। आज आ. चारुमति रामदास का यह लेख पढ़िए। वह हैदराबाद में रूसी भाषा की प्रोफ़ेसर थीं। अनेक श्रेष्ठ पुस्तकों का रूसी से हिंदी अनुवाद कर चुकी हैं। इस लेख में उन्होंने प्रेमचंद को रूसी...
View Articleमृणाल पाण्डे की कथा ‘राजा की खोपड़ी उर्फ अग्रे किं किं भविष्यति?’
प्रसिद्ध लेखिका, संपादक मृणाल पाण्डे आजकल प्रत्येक सप्ताह एक बोध कथा लिख रही हैं जो बच्चों को न सुनाने लायक़ हैं। यह आठवीं कड़ी है। इन पारम्परिक बोधकथाओं को पढ़ते हुए समकालीन समाज की विडंबनाओं का तीखा...
View Articleप्रीति प्रकाश की कहानी ‘पिपराहा बाबा की जय’
इस बार हंस कथा सम्मान दो लेखकों को संयुक्त रूप से दिया गया है, जिनमें एक प्रीति प्रकाश हैं। प्रीति प्रकाश तेजपुर विश्वविद्यालय की शोधार्थी हैं और जानकी पुल पर पहले भी लिखती रही हैं। जानकी पुल की तरफ़...
View Articleप्रमोद द्विवेदी की कहानी ‘कामरेड श्रीमान समस्या प्रधान’
प्रमोद द्विवेदी जनसत्ता के फ़ीचर एडिटर रह चुके हैं। संगीत के रसिया हैं और व्यंग्य भाषा में कहानियाँ लिखने में उनका कोई सानी नहीं। यह उनकी नई कहानी पढ़िए- ===================== कामरेड का यह अद्भुत और...
View Articleबारिशगर स्त्री के ख्वाबों , खयालों, उम्मीदों और उपलब्धियों की दास्तां है!
प्रत्यक्षा के उपन्यास ‘बारिशगर’ में किसी पहाड़ी क़स्बे सी शांति है तो पहाड़ी जैसी बेचैनी भी। इस उपन्यास की विस्तृत समीक्षा की है राजीव कुमार ने- =================== प्रत्यक्षा का उपन्यास “बारिशगर”...
View Articleत्रिलोकनाथ पांडेय के उपन्यास ‘चाणक्य के जासूस’का एक अंश
लेखक त्रिलोकनाथ पांडेय का नया उपन्यास ‘चाणक्य के जासूस’ जासूसी की कला को लेकर लिखा गया एक रोचक उपन्यास है। कथा मगध साम्राज्य के के उस काल की है जब घननंद की शक्तिशाली सत्ता को चाणक्य और चंद्रगुप्त ने...
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