
कवि केदारनाथ सिंह के मरणोपरांत है ‘मतदान केंद्र पर झपकी’। इसका विमोचन होने वाला है। विमोचन से पहले पढ़िये संग्रह की कुछ कविताएं- मॉडरेटर
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1
कालजयी
कहना चाहता था
बहुत पहले
पर अब जबकि कलम मेरे हाथ में है
कह दूँ-
जो लिखकर फाड़ दी जाती हैं
कालजयी होती हैं
वही कवितायें
2
खुरपी
मैंने देखा
खेत के बीचोबीच हराई में निहत्थी
पड़ी है एक खुरपी
मुझे लगा
आज रात
आदमी ने एक खुरपी पर डाल दिया है
दुनिया की रक्षा का
सारा दायित्व
3
सज्जनता
यह जीवन
खोई हुई चीजों का
एक अथाह संग्रहालय है
जिसका दरवाजा खोलते
मुझे डर लगता है
मुझे साँप से
डर नहीं लगता
अंधेरे से डर नहीं लगता
काँटों से
बुझती लालटेन से
डर नहीं लगता
पर सज्जनो,
मुझे क्षमा करना
मुझे सज्जनता से
डर लगता है!
संग्रह राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित है।
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