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Channel: जानकी पुल – A Bridge of World's Literature.
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अमूल्य शब्द पन्द्रह प्रतिशत सस्ते में मिल रहे हैं

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अनुकृति उपाध्याय मुंबई में एक अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थान में काम करती हैं, नई जीवन स्थितियों को लेकर ख़ूबसूरत कहानियां लिखती हैं. सिंगापुर डायरी की यह उनकी तीसरी और आखिरी क़िस्त है. कितनी अजीब बात है एक ही शहर को अलग-अलग लेखकों की आँखों से देखने पर शहर अलग-अलग लगने लगता है. यही लेखक का सेन्स ऑफ़ ऑब्जर्वेशन होता है जो उसको सबसे अलग कर देता है- मॉडरेटर

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#१२

डेम्प्सी हिल के पुराने फ़र्नीचर की दुकान में तरह-तरह की लकड़ियों की पूजा की धूप सरीखी महक़ है। रोजवुड, एल्म और टीक का सामान। ये ओपियम बेड है, रॉबिन कहता है, चीन से आया है। मैं इकहरे बिस्तर से तनिक अधिक चौड़े, कलात्मक पैरों और सिरहाने वाले पलंग को देखती हूँ। चीन देश का कोई सामंत या गृहस्वामी इस पर उठंग हो लंबी जेड पत्थर और धातु की नली से अफ़ीम पीता होगा। व्यसन अतीत हो गया, ये ख़ूबसूरत साजो-सामान बच रह गया। रॉबिन इस दुकान में सेल्समैन है, कमीशन पर काम करता है। आयु सत्तर से ऊपर है। सिंगापुर में वृद्ध नागरिकों के लिए समुचित पेंशन का प्रावधान नहीं है, वह कहता है, रहन-सहन महंगा है। मुझ जैसे बहुत से मॉल और फ़ूड कोर्ट्स में काम करते दिख जाएंगे। यदि कुछ खरीदने का मन बने तो मुझसे ही लें, वह अपना कार्ड थमा देता है। बाहर सप्ताहांत की चहल पहल है। मिशेलिन स्टार वाले कैंडलनट रेस्तराँ के सामने एक शाइस्ता क़तार है। सैमीज़ में दक्षिण भारतीय भोजन के शौक़ीनों की भीड़ भाड़ है। सिंगापुर का समृद्धि और उपभोग का उत्सव जारी है। 

#१३

रेस्तराँ के बाहर एक परिवार अपनी टेबिल की प्रतीक्षा में है। घुटनों चलती नन्हीं बच्ची सीढियों पर अटकती है।  इसका नाम एस्टेल है, उसकी माँ गर्व से कहती है, तेरह माह की है। बहुत सुंदर है, है ना? मैं गर्दन हिलाती हूँ। वे फ्रांस देश के हैं, सिंगापुर में काम के अवसर हैं, साफ़-सुथरा है। न अपराध, न आतंकवाद। बच्चों को बड़ा करने लायक़ जगह है यह। इतने सब परिचय के दौरान एस्टेल पहली सीढ़ी पर हाथ जमाए, गुदकारे घुटनों पर गुलथुल देह साधे अपलक मुझे देख रही है। उसकी आँखें बेहद नीली हैं, सिंगापुर के आकाश सी नीली। उनमें खुली जिज्ञासा है। संशय और संकोच से अछूती जिज्ञासा। मेरे मन से आशीर्वचन निकलते हैं, सुंदर, प्रियतर, उन्मुक्त रहो सदा। स्वस्ति।

#१४

ऑर्चर्ड रोड पर ताकाशिमाया के विशाल बहुमंज़िला स्टोर के सामने, नीली रोशनी से जगमगाती सीढ़ियों के नीचे एक आदमी कुछ वाद्य यंत्र बजा रहा है। एक लगभग 4 फुट लंबा बाँस का तुरही जैसा वाद्य, कुछ चमड़ा-मढ़े लकड़ी के नक्कारे-नुमा ड्रम। एक घुँघरू-बंधे पैर से ताल दे भी रहा है। जब वह तुरही में फूँक मारता हुआ, दोनों हाथों से ड्रम और झाँझ बजाता है तो घने जंगलों में हवा सरसराने लगती है, पत्ते खड़कने लगते हैं, झिल्लियाँ झंकारनें लगती हैं। लम्बी तुरही ऑस्ट्रेलिया से है, ड्रम अफ्रीका से, धातु की झाँझ किसी पाश्चात्य देश से। वादक जापानी है। श्रोता देश-देश से – चीनी, भारतीय, मलय, कॉकेशियन। सिंगापुर का फुटपाथ संयुक्त राष्ट्र बना हुआ है!

#१५

ताकाशिमाया की विस्तृत इमारत में तरह तरह की ब्रांडों और खाने-पीने-पहनने की दुकानों के अलावा एक विशिष्ट दुकान है – किनोकुनिया। किनोकुनिया जापानी श्रृंखला-पणि है, चेन-स्टोर, किताबों का। यह किनोकुनिया विशेष है, एशिया की सबसे बड़ी पुस्तकों की दुकान। देश देश के लेखकों की अनगिन किताबें, अंग्रेज़ी और चीनी भाषाओं में, लेकिन अंग्रेज़ी में अधिक। एल्ड्स हकस्ले और अलेक्जेंडर सोल्ज़नीत्सिन, मैक्सिम गोर्की और ग्राहम ग्रीन, एक दूसरे से कंधे जोड़े। चीनी और जापानी लेखकों की अंग्रेज़ी में अनूदित किताबों के लिए अलग सेक्शन, मानक और त्वरित-बिकती किताबों कर लिए अलग। लिखने की सामग्री भी, पेन, पेंसिलें, तरह तरह की मोहक नोटबुक्स। कैशियर काउन्टर पर एक सिंगापुरी लड़की टोनी मोरिसन और कावाबाता की किताबों पर उड़ती निगाह डालती है। यदि आप इतनी किताबें ले रही हैं तो मेम्बर बन जाएँ, वह बिना मुस्कुराए कहती है, छमाही मेम्बरशिप, ख़रीद पर डिस्काउंट। अमूल्य शब्द पन्द्रह प्रतिशत सस्ते में मिल रहे हैं।

#१६

रविवार है। कामकाजी सिंगापुर छुट्टी का अलस स्वाद चख रहा है। सप्ताहांत जोड़ों और परिवारों का समय है, दोस्तों का समय है। अकेले लोग भीड़ में कितने अकेले हैं। बग़ल की मेज़ पर चालीस-पैंतालीस साला आदमी खाना ऑर्डर कर घड़ी देखता है, मानो किसी का इंतज़ार कर रहा हो। कोल्ड स्टोरेज पर घर का सामान लेती अकेली औरत अपनी टोकरी से इंस्टेंट नूडल्स और फ्रोज़न डिनर निकालती है और कैशियर के सामने धर देती है। साथ के काउन्टर पर रखे बच्चे के डाइपर, हरी सब्ज़ियों और केक बनाने के सामान से लदी टोकरी को वह सख़्त आँखों से देखती है। बोटैनिक गार्डन में अकेला दौड़ता पुरुष बच्चे के प्रैम धकेलते जोड़ों से क़तरा कर निकलता है। ऐसे में एक औरत ताल पर बने पुल पर बैठी है, आल्थी-पालथी मारे। अपने कुत्ते के भूरे माथे को सहलाती। होंठ और आँखों से मुस्कुराती। ये मेरा बेटा है, वह कहती है, एक शेल्टर से गोद लिया है, पहले डरा रहता था, अब प्यार पर विश्वास करने लगा है। ताल का पानी सूर्य किरणों से सुनहरी है। जलघास पर व्याध-पतिंगे नाच रहे हैं। कहीं नज़दीक कोई मुनिया घुँघरू सी झनकी है। इन सबको प्यार पर विश्वास है।

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