आज देश के विजनरी प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की पुण्यतिथि है। उनको याद करते हुए आरती रामचन्द्रन की किताब ‘डिकोडिंग राहुल गांधी’ किताब से एक अंश प्रस्तुत है। किताब का प्रकाशन यात्रा बुक्स ने किया है- मॉडरेटर
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राजीव गाँधी और माँ सोनिया गाँधी को राजनीति में आने का अवसर मिला. दोनों ने अलग-अलग परिस्थितियों में यह फैसला लिया, बावजूद इसके कि उनकी राजनीति में खास दिलचस्पी नहीं थी. राजीव राजनीतिक ढंग के नहीं थे बावजूद इसके कि वे प्रधानमंत्रियों एवं राजनीतिक सरगर्मियों के दिनों में पक्के राजनीतिकों के घर में बड़े हुए थे. फिरोज एवं इंदिरा गाँधी के दो पुत्रों में बड़े राजीव का जन्म २० अगस्त १९४४ को हुआ था, स्वतंत्रता से तीन साल पहले. फिरोज का जन्म एक पारसी परिवार में हुआ था और वे इलाहाबाद में पले-बढ़े थे जहां नेहरु परिवार का घर अवस्थित था. फिरोज और इंदिरा का वैवाहिक जीवन अशांत था. इंदिरा जब अपने पिता, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के साथ नई दिल्ली में रहने के लिए आ गई तो वे अलग रहने लगे, लेकिन उन्होंने कभी तलाक नहीं लिया.
जिसके कारण राहुल गाँधी के शुरूआती दिन तीन मूर्ति भवन में बीते उस भव्य और हरे-भरे परिसर में जो नई दिल्ली में प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास था. कई दफा इंदिरा आधिकारिक तौर पर उन लंच और डिनर को होस्ट किया करती थीं जो नेहरु को देना पड़ता था. इस बीच, वह अपने पिता की राजनीतिक सहायक भी हो गई.
जब राजीव और उनके छोटे भाई संजय थोड़े बड़े हुए तो नेहरु, जो हैरो और बाद में कैम्ब्रिज से पढ़े थे, ने अपने नातियों को दून स्कूल भेज दिया. दून एक आभिजात्य बोर्डिंग स्कूल था जो उत्तरी पहाड़ी शहर देहरादून में अवस्थित था, जिसे ब्रिटेन के बेहतरीन पब्लिक स्कूल के मॉडल पर बनाया गया था. वहां से राजीव इंग्लैण्ड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए गए. हालांकि, उन्होंने वहां से बिना कोई डिग्री हासिल किए ही पढ़ाई छोड़ दी, वे परीक्षाओं में नहीं बैठे. वहां से वे लंदन के इम्पीरियल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलोजी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए गए लेकिन उसे भी उन्होंने पूरा नहीं किया. बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि परीक्षा के लिए रटाई करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी.7
भारत लौटने पर उन्होंने अपना कैरियर राजनीति के बाहर चुना. उन्होंने एयरलाइन पाइलट के रूप में प्रशिक्षण लिया और १९६८ में भारत के राष्ट्रीय उड़ान सेवा इंडियन एयरलाइंस में काम करना शुरु किया. उन्होंने सोनिया मैनो से विवाह किया, जो एक इटालियन छात्रा थी और जिनसे वह कैम्ब्रिज में मिले थे. वह वहां विश्वविद्यालय नगर के एक निजी भाषा संस्थान में अंग्रेजी की पढ़ाई कर रही थी.
सोनिया ९ दिसंबर १९४६ को, स्टीफानो एवं पाओलो मैनो की तीन बेटियों में से दूसरी बेटी के रूप में पैदा हुई थी.उनका लालन-पालन ओउब्रासानो में हुआ जो उत्तरी इटली में ट्यूरिन के पास एक नगर था. सोनिया के जीवनीकार राशिद किदवई अपनी पुस्तक ‘सोनिया: ए बायोग्राफी’ में कहते हैं की स्टीफानो ने अपना जीवन अपने बलबूते बनाया था जिनको ‘कई बार बेहद बुरे दौर से गुजरना पड़ा था.’ स्टीफानो ने तब ओउब्रासानो के छोटे-मोटे कंस्ट्रक्शन के व्यवसाय में अच्छी आय की थी जो युद्ध के बाद के उत्तरी इटली में ‘बूम’ के दौर में पनपा था.
सोनिया के जीवनीकार रशीद किदवई ने ‘सोनिया: ए बायोग्राफी’ में उस शहर के बारे में लिखा है जिसमें सोनिया पली-बढ़ी थी कि वह एक निम्न-मध्यवर्गीय शहर था. वे यह भी कहते हैं कि स्टीफानो ने अपनी बेटियों को ‘परंपरागत कैथोलिक ढंग’ से पाला-पोसा.
राजीव और सोनिया एकदम अलग तरह की पृष्ठभूमियों से आते थे. लेकिन १९६८ में विवाह करके एक विदेशी धरती पर एक भारतीय संयुक्त परिवार में अपनी सास के साथ रहने का निर्णय करके सोनिया ने बहुत बड़ा फैसला किया था. इंदिरा १९६७ में नेहरु के उत्तराधिकारी लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद प्रधानमन्त्री बने. लगता है सोनिया अपने नए वातावरण के अनुसार अच्छी तरह से ढल गई जो ऐसे आदमी के लिए बड़ी बात है जो भारत के बारे में शादी से पहले बहुत कम जानता हो. राहुल का जन्म १९ जून १९७० को हुआ और उनकी बहन प्रियंका का १२ जनवरी १९७२ को. राजीव और सोनिया गाँधी का अपना ‘छोटा लेकिन बेहद निजी दोस्तों का एक दायरा’ था. राजीव ने राजनीति में हाथ आजमाने की दिशा में कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. उनके जीवनीकार मिन्हाज मर्चेंट ‘राजीव: एंड ऑफ ए ड्रीम’ में कहते हैं कि उनका जीवन आरामदेह, व्यवस्थित और साधारण किस्म का था.10 उनके अनुसार, वे अपनी निजता को बहुत महत्व देते थे तथा उन राजनीतिज्ञों से बचकर रहते थे जो १ सफदरजंग रोड, जो प्रधानमन्त्री निवास था, पर नियमित तौर पर आते थे, और सतर्कतापूर्वक हर प्रकार की राजनीतिक गतिविधि से खुद को दूर रखते थे.11
एक पिता के रूप में राजीव ‘प्यार करने वाले सुलभ रहने वाले लेकिन सख्त’ थे, सोनिया ने ‘राजीव’ नामक पुस्तक में कहती हैं जिसे उन्होंने १९९१ में अपने पति की हत्या के बाद श्रद्धांजलि के तौर पर तैयार किया था. ‘वह ऐसी किसी भी तरह की बात को बर्दाश्त नहीं करते थे जिसे वे बिगड़ैल स्वभाव के लक्षण के तौर पर देखते थे जैसे खाना देखकर नाक-भौं सिकोडना या खाना बर्बाद करना. बच्चों को वह खाना खत्म करना होता था जो कुछ भी उनके लिए बनाया जाता था चाहे वह उनको पसंद आए या नहीं या उसे खाने में उनको चाहे कितना भी समय लगे. वे माँ को भी बीच में नहीं पड़ने देते थे. उनको रूखे व्यवहार या बुरी आदतों से सख्त नफरत थी, और वे इसके लिए परंपरागत ढंग से सजा देते थे- उदाहरण के लिए, बच्चों से १०० बार यह लिखने के लिए कहते थे, मैं दरवाजा नहीं पीटूँगा.’ 12
मर्चेंट कहते हैं13 राजीव की अनेक प्रकार की रूचियाँ थीं, जिनमें संगीत, फोटोग्राफी, हैम रेडियो, टारगेट शूटिंग तथा जहाज उड़ाना. वह एक अच्छे फोटोग्राफर थे तथा अपने बच्चों को फोटोग्राफी सीखने के लिए प्रोत्साहित करते थे, सोनिया राजीव में कहती हैं. उन्होंने उनको रंग-संवेदन सिखाया, और उनको इसके लिए नोट तैयार करना सिखाया कि वे कैसा कर रहे थे तथा वे किस तरह से बेहतर कर सकते थे. राहुल और प्रियंका आज तक फोटोग्राफी को लेकर उत्साहित रहते हैं. प्रियंका गाँधी वाड्रा की २०११ में आई चित्रों की पुस्तक ‘रणथम्भोर: द टाइगर्स रियल्म’(रणथम्भौर: शेर की दुनिया), जिसका उन्होंने अंजलि और जैसल सिंह के साथ सह-लेखन किया था, में उन्होंने कहा कहा है कि वह फोटोग्राफ इसलिए खींचती हैं क्योंकि उनके पिता ने उन्हें सिखाया था न कि किसी और कारण से.14
हालांकि यह केवल फोटोग्राफी की ही बात नहीं है. राजीव ने अपनी बहुत सारी अभिरुचियाँ अपने बच्चों को दीं. सोनिया गाँधी१५ लिखती हैं कि राहुल के पहले जन्मदिन पर जब उसके सामने दो चीजें रखी गईं जिनमें से वह एक चुने और यह पता चल सके कि उसकी भविष्य संबंधी प्राथमिकताएं क्या हैं, जैसे शिक्षा के लिए पेन, राजीव को तब बहुत खुशी हुई जब राहुल ने मैकेनिकल कार को चुना. राहुल को उसके पिता की तरफ से जो आरंभिक उपहार मिले उनमें एक मैकेनिकल टूल किट था, उन्होंने लिखा है. फिरोज गाँधी ने अपने बेटों को बचपन में अपने हाथों से काम करना सिखाया था, इसके कारण राजीव और उनके छोटे भाई संजय दोनों के मन में हर उस चीज के प्रति बैठ गया जो मैकेनिकल हो.
इंदिरा गाँधी की दोस्त और जीवनीकार स्वर्गीय पुपुल जयकर ‘इंदिरा गाँधी: ऐन इंटिमेट बायोग्राफी’16 में वर्णन करते हुए लिखा है कि जब फिरोज १९५२ में रायबरेली से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए तो वे नई दिल्ली में प्रधानमंत्री निवास में रहने के लिए आए. उन्होंने कहा है कि उनको वहां का वातावरण दमघोंटू लगा और वे जल्दी ही एमपी क्वार्टर में अपने स्वयं के घर में रहने के लिए चले गए. वीकेंड में दोनों लड़के अपने पिता के पास जाते थे. “जब वे अपने पिता के पास जाते तो फिरोज उनका पूरा ध्यान रखते. वे उनको दिखाते कि किस तरह खिलौने वाली ट्रेन या कार को अलग करके फिर से जोड़ा जा सकता है. उन्होंने उनको पौधे लगाना सिखाया गुलाबों के प्यार सिखाया.”
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