युवा कवि अविनाश मिश्र का कविता संग्रह ‘चौंसठ सूत्र सोलह अभिमान’ हिंदी में अपने ढंग का अकेला संग्रह है. यह कामसूत्र से प्रेरित है और प्रेम सिक्त है. हिंदी में इरोटिक कविताएँ लिखी गई हैं लेकिन घोषित रूप से इरोटिक कविता संकलन न के बराबर हैं. जो हैं भी उनके प्रति हिंदी में दबा-छुपा भाव रहा है. उम्मीद करता हूँ हिंदी में अपने ढंग का अनूठा यह संचयन कविता और साहित्य की नई धारा को दिशा दे. राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इसी संकलन से कुछ कविताएँ- मॉडरेटर
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1.
औपरिष्टक
तुमसे ही मांगूंगा तुम्हें
सिर्फ तुम्हें
इनकार मत करना
देने से घटता नहीं है
और बचाते हैं वे
जिनके पास होता है कम
2.
सीत्कृत
हल्के प्रकाश में
तुम और भी सुन्दर थीं
हल्की सांस लेती हुई
आशंका को स्थान न देती हुई
लापरवाहियां तुम्हारे शिल्प में थीं
इस अर्थ में इस अर्थ से दूर
तुम्हारी बंद आँखों में भी मद था
मैंने देखा सारी रात
तुम्हें
खुली आँखों से
3.
बिछुए
वे रहे होंगे
मैं उनके बारे में ज्यादा नहीं जानता
मैं उनके बारे में जानना नहीं चाहता
उनके बारे में जानना
स्मृतियों में व्यवधान जैसा है
4.
नथ
वह सही वक्त बताती हुई घड़ी है
चन्द्रमा को उसमें कसा जा सकता है
और समुद्र को भी
5.
काजल
तुम्हारी आँखों में बसा
वह
रात की तरह था
दिन की कालिमा को संभालता
उसने मुझे डूबने नहीं दिया
कई बार बचाया उसने मुझे
कई बार उसकी स्मृतियों ने
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