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गिसेप उंगारेत्ति की कविताएँ: अमृत रंजन का अनुवाद

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प्रसिद्ध इतालवी कवि गिसेप उंगारेत्ति की कविताओं का अनुवाद प्रस्तुत है. अनुवाद किया है अमृत रंजन. अमृत रंजन में पहली बार कविताओं का अनुवाद किया है और काफी प्रवाहमयी शैली में किया है- मॉडरेटर
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अमर
 
तोड़े गए फूल
अर्पित फूल
बीच में
अनगिनत शून्य
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सैनिक
 
हम वैसे हैं
पतझड़ में
जैसे टहनियों पर
पत्ते
 
——————————
 
भाई
 
भाइयो
किस रेज़िमेंट के हो तुम सब?
 
शब्द कंपकंपाते हैं
रात में
कल ही जन्मा पत्ता
 
जलती हुई हवा में
अपने टुकड़े के साथ मौजूद
व्यक्ति का
बेवश विद्रोह
 
भाइयो!
 
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सितारा
 
सितारा, सिर्फ़ मेरा सितारा,
रात की ग़रीबी में तुम अकेले चमकते हो,
केवल मेरे लिए चमकते हो;
लेकिन, मेरे लिए,
वो तारा जो कभी चमकने से रुक नहीं सकता
बहुत कम समय मिला है तुमको
तुम्हारी पूरी रौशनी
कुछ नहीं करती
बस मेरे दुख को बढाती है।
 
——————————
 
गहरी रात
 
 
पूरी रात
कसे बंद होंठ
निर्ममता से कत्ल किए गए
हमारे ही आदमी के बग़ल में
दुबक कर बैठ
चाँद पर हँसते हुए
और उसके भरे हुए हाथ
मेरी ख़ामोशी में समाए थे
मैंने कई प्यार के पत्र लिखे हैं
 
 
जिंदगी से इतना कभी
नहीं जुड़ा।
 
 
 
——————————
 
सूर्यास्त
 
आसमान की लाली
शाद्वल को जन्म देती है
प्यार के बंजर में
 
 
 

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