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‘बहुजन स्कालर्स फोरम’द्वारा आयोजित गोष्ठी की रपट

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‘बहुजन स्कॉलर्स फोरम‘ विभिन्न शोधार्थियों व विद्यार्थियों का एक संगठन है जिसके माध्यम से यह समय-समय पर सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक प्रयास करता रहता है। कल, 14 अप्रैल 2024 ई. को, बाबा भीमराव अंबेडकर की 133वीं  जयंती के उपलक्ष्य में ‘फोरम’ द्वारा एकदिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं दौलत कुमार रॉय। दौलत अभी दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गया में  राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर कर रहे हैं। यह रिपोर्ट आप भी पढ़ सकते हैं ‌- अनुरंजनी

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बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के 133 वीं जन्म जयंती के अवसर पर ‘बहुजन स्कॉलर फोरम’ ने गया स्थित होटल ‘एम. आई. प्लाजा’ के सभागार में एकदिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन किया। इस दौरान दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय तथा गया शहर के तमाम शैक्षणिक संस्थाओं से शिक्षक, छात्र एवं अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही। विचार गोष्ठी का विषय ‘जनवादी भारत के निर्माण में बाबा साहब के विचार एवं उनकी मौजूदा विरासत’ था। कार्यक्रम दो हिस्सों में संपन्न हुआ जिसके पहले सत्र की अध्यक्षता दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ कर्मानन्द आर्य ने किया तथा उसमें बहुजन स्कॉलर फोरम की ओर से रवि, दयाशील, ‘प्रोग्रेसिव स्टुडेन्ट आर्गेनाइजेशन’ की ओर से साहिल, अन्य संगठनों से तारिक अनवर, संदीप, सहित विभिन्न वक्ताओं ने विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। साथ ही दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सरोज कुमार, शिक्षक शिक्षा विभाग के डॉ. समरेश भारती तथा दलित विमर्श के साहित्यकार विपिन बिहारी ने अपनी बात रखी। डॉ. सरोज कुमार ने बताया कि “कोई भी बदलाव अपने घर से होता है इसलिए जब हम सामाजिक न्याय और समानता की बात करते हैं तो सबसे पहले यह हमारा दायित्व बनता है कि सबसे पहले हम खुद से और फिर हम जहाँ हैं, जिस जगह हैं, वहाँ से बदलाव करना शुरू करें ।” अध्यक्षीय भाषण के दौरान डॉ. कर्मानंद आर्य ने कहा “आज एम्स की भी स्थापना दिवस है जो शारीरिक व्याधियों को दूर करता है एवं बाबा साहब की भी जयंती है जिनके विचार मानसिक व्याधियों को दूर करने के काम आते है।”

‘गोष्ठी’ के दूसरे सत्र की अध्यक्षता ‘शिक्षक शिक्षा विभाग’ के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रवि कांत कर रहे थे जिसमें, नितीश कुमार ‘हलचल,’ सुबोध यादव, निशा कुमारी, बहुजन स्कॉलर फोरम के अध्यक्ष कॉमरेड अमृत सहित विभिन्न वक्ताओं ने अपनी बात रखी। साथी निशा ने बाबा साहब द्वारा महिलाओं के हक़ में किए गए निर्णयों पर बात कहते हुए कहा कि “मैं आज मंच से बोल रही हूँ तो यह बाबा साहब की ही देन है।” साथी अमृत ने बाबा साहब की मौजूदा विरासत पर बात रखते हुए बताया कि “आज भी, 2024 ई. में भी जब कोई रेंट के लिए कमरा खोजने जाती/जाता है तो उससे उसकी जाति पूछी जाती है और जो लोग इस मानसिकता का विरोध प्रकट करते हैं वे भी आज उनकी विरासत को संभाले हुए हैं।” प्रोफेसर रवि कांत ने  अपने अध्यक्षीय भाषण में बेहद ही ज़रूरी बात कही। उन्होंने कहा कि आज अंबेडकर पर भाषण देने से ज़्यादा आवश्यक है अंबेडकर को पढ़ना। साथ ही अंबेडकर की विरासत के रूप में उन्होंने वहाँ उपस्थित सभी को ध्यान दिलाया कि “बाबा साहब कभी भी क्रोध प्रकट नहीं करते थे, बहुत ही विनम्रता से अपनी बातें कहते हैं, तर्क के साथ कहते हैं। यह एक बहुत बड़ी वजह है कि संसद में उनकी बात पर हंगामे तो बहुत होते थे लेकिन उनकी बात की कोई काट किसी पास के नहीं होती थी। इसलिए हमारा भी यह दायित्व बन जाता है कि हम अपनी बात बहुत ही शालीनता के साथ, तर्कसहित कहें, बिना क्रोधित, उत्तेजित हुए।”

विचार गोष्ठी में बाबा साहब से जुड़े कई विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई तथा साथ ही जनगीत के माध्यम से बनारस से आए युध्देश जी ने अपनी बात लोगों तक पहुँचाई। गोष्ठी का मंच संचालन सिद्धांत कुमार सिंह एवं यमन यादव ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन दौलत कुमार रॉय ने किया  ।

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