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जानकी पुल शशिभूषण द्विवेदी सम्मान ‘सगबग मन’को

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जानकी पुल शशिभूषण द्विवेदी सम्मान के बारे में कुछ महीने पहले घोषणा की गई थी। हर साल यह पुरस्कार कथा साहित्य के क्षेत्र में किसी एक कृति पर प्रदान किया जाएगा।
हमने अपने निर्णायकों के साथ इसके नियम क़ायदों के बारे में सोच विचार कर यह तय पाया कि पहले पुरस्कार के लिए आधार वर्ष 2020-2023 रखा जाये। तीन साल के दौरान प्रकाशित कहानी संग्रहों और उपन्यासों में से किसी एक कृति का चयन किया जाये। इस सम्मान के लिए उम्र सीमा 40 साल निर्धारित की गई। यानी ऐसे किसी लेखक या लेखिका के कहानी संग्रह या उपन्यास पर यह पुरस्कार दिया जायेगा जिसकी उम्र 40 साल या उससे कम हो तथा जिसकी रचना 2020-2023 के दौरान प्रकाशित हुई हो।
जानकी पुल शशिभूषण द्विवेदी सम्मान के लिए हमने वरिष्ठ लेखकों मनीषा कुलश्रेष्ठ जी और प्रियदर्शन जी से आग्रह किया।
पुरस्कार 20000 रुपये की अल्प राशि से शुरू की जाएगी। जिसमें समय समय पर संशोधन किया जाएगा।
सम्मानित लेखक को आने वाले समय में दिल्ली में एक समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
सम्मानित निर्णायकों ने जानकी पुल शशिभूषण द्विवेदी सम्मान 2023 के लिए युवा लेखिका दिव्या विजय के कहानी संग्रह ‘सगबग मन’ का चयन किया है। यह कहानी संग्रह भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित है।
निर्णायकों का वक्तव्य: 
दिव्या विजय

“हमने वर्ष  2023 के जानकी पुल शशि भूषण द्विवेदी सम्मान के लिए एकमत से  दिव्या विजय के कथा संकलन ‘सगबग मन’ को चुना है।

इस सम्मान के लिए दिव्या विजय को बधाई।

समकालीन कथा लेखन के मौजूदा परिदृश्य में दिव्या विजय अपने लेखकीय अवदान से एक अलग तरह का हस्तक्षेप करती हैं। उनके संग्रह ‘सगबग मन’ की कहानियां अपने कहन की गहनता और भिन्नता से हमें चकित करती हैं। इन कहानियों का कैनवस बहुत बड़ा है- बिल्कुल स्थानीय अनुभव से लेकर अंतरराष्ट्रीय आकाश तक। दिव्या विजय के पास एक समर्थ संवेदनशील भाषा है जिसमें वे अंतरंग की गुत्थियां भी रचती हैं और बहिरंग की उलझनें भी। वे अकुंठ भाव से अपने अपने किरदारों के संसार में प्रवेश करती हैं और उनके हिस्से के प्रेम, संकोच, दुविधा सबको बहुत सूक्ष्मता से अभिव्यक्त करती हैं। उनकी कहानियां उस आधुनिक स्त्री की कहानियां हैं जिसने अपना संसार खुद बनाया-बसाया है और जो पूरे आत्मविश्वास से इस संसार में आवाजाही करती है। उनमें शिल्प और कथ्य में तोड़फोड़ कर सकने वाला लेखकीय साहस भी है जिसके प्रमाण संग्रह की कुछ कहानियों में दिखने वाले अतियथार्थवादी वृत्तांत में मिलते हैं। उनकी कहानियां समकालीन हिंदी कथा लेखन के सामर्थ्य का भी प्रमाण हैं।
प्रथम जानकी पुल शशिभूषण द्विवेदी सम्मान के लिए दिव्या विजय का चुनाव करते हुए चयन समिति आश्वस्त भी है और उल्लसित भी।”
मनीषा कुलश्रेष्ठ / प्रियदर्शन

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