
आज पढ़िए अजहर हाशमी की कहानी ‘ऐसा पागल नहीं देखा’। नए दौर से संजीदा शायर हैं। ग़ज़लें भी लिखते हैं। आज नज़्म पढ़िए-
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एक रोज़ सूरज वैसे ही अपने सफर पे निकलता है अपनी रौशनी के साथ जैसे हर रोज़ निकलता है,
और लोगों के जागने से पहले, उनकी रंजिशें, हसद, दुश्मनी,नफरत,बदगुमानी,हवस उनसे पहले जागती हैं।
और दिन चढ़ता है,
एक शख़्स बड़े बड़े बाल , ढीला ढाला सफ़ेद कुर्ता पैजामा पैरों में हवाई चप्पल के साथ सड़क पे खड़ा सबको देख रहा है, आंखों से पता चलता है के कई रातों से सोया नहीं,
अचानक वो हर एक शख़्स के पास जाकर उसे पकड़ कर एक सवाल करता नज़र आता है।
“तेरा जिंदा है के मर गया”?
“बता तेरा जिंदा है के मर गया” ?
आते जाते लोग उसे पागल समझकर गालियां देकर धक्का देते आगे बढ़ते हैं
“क्या मर गया कौन मर गया? हट आगे से”
मगर वो सबको पकड़ कर पूछता रहा ।
“तेरा जिंदा है के मर गया”?
“बता तेरा जिंदा है के मर गया” ?
आखिर आखिर बात इतनी बढ़ गई के कई लोग जमा हो गए और एक भीड़ बन गई सबने मन बना लिया के इस पागल को पीट दिया जाए तब ये होश में आएगा।
और ऐसा ही हुआ सबने मिलके उस शख़्स को पीट दिया।
एक भीड़ पीट रही थी उसके कपड़े फाड़ रही थी तमाशा बन चुका था और एक भीड़ उस तमाशे को तमाशाई बन के लुत्फ उठा रही थी। आम तौर पे जैसा रिवाज है वैसा ही।
और वो शख़्स अब भी पूछ रहा था।
“तेरा जिंदा है के मर गया”?
“बता तेरा जिंदा है के मर गया” ?
पुलिस आती है कुछ देर में भीड़ को हटाती है,
और उस शख़्स को पकड़ कर ले जाती है।
थाने में वैसे ही एक कोने में हाथों में रस्सी बांध कर बिठा देती है।
वो शख़्स अब भी पूछ रहा था ।
“तेरा जिंदा है के मर गया”?
“बता तेरा जिंदा है के मर गया” ?
मगर आवाज़ में कराह थी ।
थानेदार ने सुना तो उसे बुलाया और पूछा
“क्या है ये क्या पूछ रहा तू सबसे”
उस शख़्स ने जवाब दिया ।
“तेरा जिंदा है के मर गया”?
“बता तेरा जिंदा है के मर गया” ?
थानेदार ज़ोर आवाज़ में पूछता है।
“क्या ज़िंदा है क्या मर गया?”
वो शख़्स पहले हंसा फिर रोते हुए कराह के साथ बोला।
“मैं पूछने को निकला था इतनी सी बात बस”
“इंसाँ तेरा ज़मीर, है ज़िंदा के मर गया” ?
थानेदार बोलता है
“ये कोई बात है पूछने की”
और उस शख़्स को पागलखाने भेज देता है।
अब वो जाते हुए रास्ते में यही कहता रहा।
“मैं पूछने को निकला था इतनी सी बात बस”
“इंसाँ तेरा ज़मीर, है ज़िंदा के मर गया” ?
“मैं पूछने को निकला था इतनी सी बात बस”
“इंसाँ तेरा ज़मीर, है ज़िंदा के मर गया” ?
उसके साथ बैठे सिपाही हंसते हंसते आपस में कहते हैं।
“ऐसा पागल नहीं देखा”
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