किताबों और फिल्मों में कुछ शास्त्रीय और शाश्वत होते हैं, कुछ वक़्ती!
हिंदी में लोकप्रिय और गम्भीर साहित्य की बहस बहुत पुरानी रही है। इसी को अपने इस लेख में रेखांकित किया है युवा लेखिका सुदीप्ति ने। उन्होंने अनेक उदाहरणों के साथ अपनी बात रखी है, जो सोच-विचार और बहस की...
View Articleमेरा ब्लेजर किसी की उतरन नहीं है: श्वेता सिंह
श्वेता सिंह अपने जीवन अनुभवों को कहानी की शक्ल में लिखती हैं। रेडियो जॉकी रही हैं. बीबीसी, ऑल इंडिया रेडियो आदि संस्थानों में ब्रॉडकास्टिंग का अनुभव. इन दिनों The Energy and Resources Institute (TERI)...
View Articleसेक्स( जेंडर से इतर अर्थों में ), शिव, कामसूत्र और किन्नर समुदाय:
युवा शोधार्थी प्रियंका नारायण बहुत सामान्य लगने वाले विषयों पर बहुत असामान्य ढंग से लिखती हैं। हिंदी में ऐसे युवा बहुत कम हैं जो परम्परा ज्ञान से भी समृद्ध हों। उदाहरण के लिए यह लेख पढ़िए-...
View Articleबापू की पहली और सर्वश्रेष्ठ जीवनियां कौन सी: विवेक शुक्ला
आज बापू की पुण्यतिथि है। उनकी अनेक जीवनियाँ लिखी गई हैं। उनकी जीवनियों को लेकर यह लेख लिखा है जाने माने पत्रकार श्री विवेक शुक्ला ने। विवेक जी चलते फिरते एनसाइक्लोपीडिया की तरह हैं। नवभारत टाइम्स में...
View Articleमिट्टी में काम करते हुए समय जैसे स्थिर हो जाता है: सीरज सक्सेना
चित्रकार, सेरेमिक कलाकार सीरज सक्सेना के साथ कवि-संपादक राकेश श्रीमाल की बातचीत की किताब आई है ‘मिट्टी की तरह मिट्टी’। सेतु प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब का एक अंश प्रस्तुत है- ===================...
View Articleस्वरांगी साने की कहानी ‘फाइटर’
स्वरांगी साने की कहानी ‘फाइटर’ पढ़िए- ========================== काव्या ने लगभग भागते हुए आँगन का फाटक खोला, घर के दरवाज़े से एक कदम अंदर रखते हुए वही से चिल्ला कर पूछा- आंटी स्वप्निल कहाँ है? ऊपर अपने...
View Articleअभिषेक ओझा के उपन्यास ‘लेबंटी चाह’का एक अंश
अभिषेक ओझा का उपन्यास आया है ‘लेबंटी चाह’। यह उपन्यास एक ग्लोबल हो चुके बिहारी की स्मृतियों का कोलाज है। एक तरफ़ तेज भागती दुनिया है दूसरी तरफ ठहरा हुआ जीवन। राजपाल एण्ड संज प्रकाशन से प्रकाशित इस...
View Articleफणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘तीन बिंदियाँ’
सोशल मीडिया पर थ्री डॉट्स की चर्चा की चर्चा गर्म है। याद आई फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘तीन बिंदियाँ’। रेणु जी के कहानी संग्रह ‘ठुमरी’ में यह कहानी शामिल है। संकलन का प्रकाशन राजकमल प्रकाशन से हुआ है-...
View Articleसरों के धड़ से जुड़ने की कथा: मृणाल पाण्डे
प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे की कथा सीरिज़ बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथाएँ की यह 27वीं कहानी है। शायद ही किसी लेखक ने इतनी लम्बी कथा सीरिज़ लिखी हो। समझ लीजिए आज के ज़माने का पंचतंत्र या हितोपदेश।...
View Article‘चौरी चौरा: विद्रोह और स्वाधीनता आंदोलन’पुस्तक का अंश
1922 में आज के ही दिन क्रांतिकारियों ने चौरी चौरा में थाना फूंक दिया था। जिसके बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था। आज इस घटना के 99 साल हो गए। चौरी चौरा की इस घटना को आधार बनाकर सुभाष...
View Articleबने बनाए शिल्प को तोड़ता कथानक
अनुकृति उपाध्याय ने अपने पहले कहानी संग्रह ‘जापानी सराय’ से सभी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया था। उसके पास अपनी कहानियाँ हैं और कहने की अपनी भाषा भी। उसके पहले लघु उपन्यास ‘नीना आँटी’ में यह...
View Articleदेस: देशज संदर्भों का आख्यान
विनोद पदरज के कविता संग्रह ‘देस’ की समीक्षा युवा कवि देवेश पथ सारिया ने लिखी है। आप भी पढ़ सकते हैं- ============================================== विनोद पदरज देशज कवि हैं। वे राजस्थान की खांटी...
View Articleवसुधैव कुटुंबकम का नारा लगाना आसान है पालन करना मुश्किल!
प्रज्ञा मिश्रा ब्रिटेन में रहती हैं और समसामयिक मुद्दों पर जानकी पुल पर नियमित रूप से लिखती रहती हैं। इस बार उन्होंने अमेरिका की कैपिटल हिल की घटना से लेकर भारत के किसान आंदोलन तक को लेकर एक...
View Articleअलेक्सान्द्र पूश्किन के उपन्यास ‘दुब्रोव्स्की’का एक अंश
अलेक्सान्द्र पूश्किन का 10 फ़रवरी 1837 को एक द्वंद्व युद्ध में गंभीर रूप से घायल होने के बाद केवल 38 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. उनके एक लघु उपन्यास “दुब्रोव्स्की” का एक अंश प्रस्तुत है. यह रचना आज...
View Article‘ठाकरे राजनीति’ की गहरी पड़ताल करती किताब
धवल कुलकर्णी की किताब ‘ठाकरे भाऊ : उद्धव, राज और उनकी सेनाओं की छाया’ की समीक्षा पढ़िए। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब की समीक्षा लिखी है युवा लेखक वसीम अकरम ने- ==================== एक परिवार के...
View Articleजमुना किनारे इकबाल फारूकी और अज़हर हाशमी की शानदार जुगलबंदी
जामिया नगर में कैफ़े कारवाँ नामक एक कैफ़े की शुरुआत हुई है, जहाँ से यमुना का नज़ारा दिखाई देता है। एक कैफ़े में लाइब्रेरी भी है और यहाँ कला के आयोजन भी करने की योजना है। 21 फ़रवरी को कैफ़े कारवाँ ने...
View Articleसदानंद शाही की कविताएँ
सदानन्द शाही के तीन संग्रह प्रकाशित हैं, वे हिंदी के प्रोफ़ेसर हैं। पत्र-पत्रिकाओं में उनकी टिप्पणियाँ हम नियमित पढ़ते रहते हैं। उनकी कुछ कविताएँ पढ़ते हैं- ================================ 1...
View Articleसोनू सूद की किताब ‘मैं मसीहा नहीं’का एक अंश
कोविड 19 महामारी के दौरान अभिनेता सोनू सूद का नाम किसी मसीहा की तरह उभर कर आया। अलग अलग स्थानों पर अलग अलग परिस्थितियों में फँसे लोगों की मदद करने में उन्होंने यादगार भूमिका निभाई। उन्होंने हाल में...
View Articleभाषा, मातृभाषा और मातृभाषा आंदोलन
विश्व मातृभाषा दिवस को लेकर वेद प्रताप वैदिक जी का यह लेख नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हुआ था। देर से पढ़ पाया। पढ़ा तो लगा कि साझा किया जाना चाहिए। बहुत अच्छी जानकारी है- ================= आम तौर पर...
View Articleराजकमल, पुरानी दिल्ली और दिल्ली पुलिस
कल 28 फ़रवरी से राजकमल प्रकाशन अपने 75 वें साल में प्रवेश कर जाएगा। अपने 74 वें स्थापना दिवस को इस बार राजकमल कुछ अनूठे अन्दाज़ में मना रहा है। सीधे पाठकों के बीच पहुँचने के अभियान के साथ। आप भी जानना...
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