Quantcast
Channel: जानकी पुल – A Bridge of World's Literature.
Viewing all articles
Browse latest Browse all 1473

स्टोरीटेल पर शरत का श्रीकांत सुनते हुए

$
0
0
स्टोरीटेल ऐप पर किताबों के सुनने के अनुभव पर युवा पढ़ाकू विनोद ने लिखा है- मॉडरेटर
=============================
साउंड क्लाउड इंटरनेट पर ऑडियो का पुराना शग़ल रह गया।
श्रीकांत का बर्मा जाना प्रूस्त के ओपनिंग सीन से अधिक तीव्र नहीं भी है तो कमतर भी नहीं है दोनों भिन्न परिदृश्य …व्यक्तिगत तौर पर माँ के समीप अधजगे अधसोये दृश्य की सापेक्षता उतनी ही है। यह अनुमान के हवाले से।
कल्पनाओं का अपना आकाश है। बीते दिनों पुस्तकालय में मार्गरेट ड्यूरा के नोट्स और साक्षात्कार पढ़ते हुए जिसे स्टोरीटेल पर श्रीकांत या अन्य पुस्तकें सुनते हुए महसूस किया जा सकता है वो यूँ कि – ” हमारी निजी कल्पनाओं से हमारे मन पर छपी छापें इस कदर हमें मुग्ध रखती हैं कि जब तक उन कल्पनाओं के शिखर से तनिक ऊपर के दृश्यों की अनुभूति न हो तब तलक पढ़कर झने गए अपने ज़ाती दृश्यों के सौंदर्य से नहीं उबरते ।”
आप समझ रहे हैं न !
विश्व पुस्तक मेले से लौट आने के पश्चात वहां दिखा स्टोरीटेल का एक खोमचा लुभावना होने कारण याद रह गया और app तो अंततः इनस्टॉल होना ही था । शिड्नी शेल्डन की the sky is falling पढ़ी, बाद जिसके किन्हीं कारणों से कोई अन्य पुस्तक न सुन सका । एप भी भूल गया , टैब भी क्रैश कर गया। किंतु संतुष्टि थी कि नया कुछ पढाई में जुड़ा। पढाई नहीं दरअसल , ‘सुनाई’…हाँ यह उचित शब्द है।
दूसरी बार का अनुभव हाल का है और पिछली बार से कम संतोषजनक रहता किंतु श्रीकांत ने बचा लिया। इस दफा निर्मल वर्मा की ‘एक चिथड़ा सुख’ , ‘राग दरबारी’, ‘कसप’ और अब तक की आखिरी ‘श्रीकांत’ सुनी ।
श्रीकांत का अनुभव अत्यंत सुखदायी।
हिंदी की ऑडियो बुक्स पर वह काम थोड़ा सा चूकता है जहां हम ‘अन्यतम’ कह सकें किंतु वह डिजिटल प्रारूपों में  उपलब्ध हो रही हैं  इस तरह की आप गाड़ी चलाते हुए भी सुन लें खाना बनाते हुए भी सुन लें, यह भला कोई कम बात थोड़े न है!
साउंड क्लाउड का जिक्र उर हुआ है तो यह थोड़ा जानना बनता है कि साउंड क्लाउड नित नियमित अपने ऑडियो के पैटर्न में बदलाव लाते रहा है जैसे पहले साउंड क्लाउड में अपलोड हुई सीरीजों पर  बैकग्राउंड स्कोर काफी भद्दा होता था और भी कई बातें जो कि समय के साथ साथ सुधरती बदलती रहती हैं ही हर माध्यम पर।
स्टोरीटेल और साउंड क्लाउड के बीच चुनाव के भंवर पर मैं स्टोरीटेल की ओर पथ प्रशस्त करने का ही सुझाव दूँगा वजह है विशाल संग्रह खासकर किताबों में (जो कि साहित्यनुरागियों के हित में अधिक मायने रखता है) और साथ ही तमाम टीवी सीरिज, कॉमिक शोज वगरैह भी।
हिदायत यह कि पूर्व पठित पुस्तकें सुनने जैसी हरकत कदाचित न की जाए निराशा हाथ लगेगी और कुछ नया भी अर्जित न होगा। जहाँ तक मुझे श्रीकांत मोहित कर ले गया (यद्यपि वह पूर्व पठित ही था सुनी अन्य हिंदी किताबों की भांति) वह इस हिस्से का पाठ था :–
एके पदपंकज विभूषित , कंटक जर्जर भेल
तुया दर्शन आशे कछ नाहिं जान लूँ, चिर  दुख अब दूर भेल
तोहारी नुरली जब श्रवणे प्रवेशल
छोडनु गृहसुख आस
ओअन्तःक दुख तृणहू करि न गणनु
कह तंह गोविन्ददास

The post स्टोरीटेल पर शरत का श्रीकांत सुनते हुए appeared first on जानकी पुल - A Bridge of World's Literature..


Viewing all articles
Browse latest Browse all 1473

Trending Articles