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काली चिड़िया की उड़ान

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प्रसिद्ध रॉक बैंड ‘बीटल्स  के गायक पॉल मैककार्टनी ने जॉन लिनन कि साथ मिलकर ब्लैकबर्ड फ़्लाई गीत लिखा जो दक्षिण अमेरिकी देशों में अश्वेत नागरिकों के संघर्ष का प्रत्येक बन गया।अब मैककार्टनी के लिखे इस गीत को लगभग 56 साल बाद अफ़ीकन-अमेरिकन गायिका बियोन्से नोल्स ने फिर गाया है। बियोन्से का गाया यही गीत उनके नवीनतम हिट म्यूज़िक एलबम ‘काउबॉय कार्टर’ में शामिल है। बियोन्से के इसी एलबम को ‘कंट्री म्यूज़िक’ श्रेणी में ग्रैमी का ‘एलबम ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड-2025 दिया गया है। इस एलबम के जरिए वे काले कलाकारों के योगदान को पुनर्स्थापित करती हैं जिन्हें विस्मृति के गर्त में धकेल दिया गया है। इसी गीत के बहाने यह लेख लिखा है लेखक-चित्रकार रवींद्र व्यास ने- मॉडरेटर 

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बरसों पहले एक काली चिड़िया ऋषिकेश में सुबह गंगा किनारे चहचहाई थी। कंठ से निकलकर उसकी पुकार गंगा की लहरों पर बहने लगती है। गंगा के उसी किनारे उस चिड़िया की पुकार पर पॉल मैककार्टनी कान धरे सुनते-गुनते हैं। पॉल मैककार्टनी, ब्रिटिश रॉक बैंड ‘द बीटल्स’ के एक सदस्य। इस बैंड के कुछ साथी ऋषिकेश में सातवें दशक के उत्तरार्ध में महर्षि महेश योगी के आश्रम में ध्यान सीख रहे थे।

उस काली चिड़िया को सुनकर मैककार्टनी ने अपने साथी जॉन लिनन के साथ एक प्यारा गीत लिखा और गाया- ब्लैकबर्ड फ्लाय।

इस गीत की प्रेरणा उन्हें इसी काली चिड़िया की पुकार सुनकर मिली थी लेकिन इस गीत का एक ऐतिहासिक संदर्भ भी है। पॉल मैककार्टनी के इस गीत की भावभूमि बना था दक्षिणी अमेरिकी राज्यों में काले लोगों का अपने नागरिक अधिकारों के लिए अथक संघर्ष। यही संघर्ष ‘ब्लैकबर्ड’ को प्रतीक बनाकर लिखा गया था। ज़ाहिर है, गीत की काली चिड़िया असल में काली लड़की का रूपक है जो ‘लिटिल रॉक नाइन’ की किशोर छात्राएं थी। (वस्तुत: ‘लिटिल रॉक नाइन ग्रुप’ नौ अफ़्रीकन छात्र-छात्राओं का एक समूह था जिसे अरकांसा में गोरों के लिटिल रॉक सेट्रल हाई स्कूल में एडमिशन देने से मना कर दिया गया था। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइज़नहावर के दख़ल के बाद इन छात्र-छात्राओं को एडमिशन देना पड़ा था। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि अमेरिका में रंगभेदी स्कूल असंवैधानिक हैं। यह पहली बार था कि लिटिल नाइन ग्रुप के इन छात्रों को गोरों के स्कूल में दाखिला दिया गया था। इसमें से एक 15 साल की किशोरी छात्रा थी एलिज़ाबेथ एकफोर्ड। इसी छात्रा का स्कूल में प्रवेश करते वक़्त फ़ोटोग्राफर विली काउंट्स ने वह ऐतिहासिक फ़ोटो लिया था जिसे बाद में पुलित्ज़र पुरस्कार दिया गया था)।
मैककार्टनी ने गीत ‘ब्लैकबर्ड’ का यही वह संदर्भ है। काले लोगों के नागरिक अधिकारों की व्यापक लड़ाई के संदर्भ में ही यह ख़ूबसूरत, सादा, प्रतीकात्मक और मार्मिक गीत बन गया है। इसे सादी धुन में, सादे रंग-ढंग से गाया भी गया था। कहा जाता है कि यह इस बैंड के श्रेष्ठ गीतों में से एक है।
गीत की कुछ पंक्तियों के बोल हैं :
रात की गहन नीरवता में गाती है काली चिड़िया
इन टूटे पंखों को थाम, उड़ना सीखो
तुम जीवनभर बस इसी क्षण की प्रतीक्षा में तो थी
खुली हवा में सांस लेने
तम बस इसी क्षण की प्रतीक्षा में थी
उड़ो, काली चिड़िया उड़ो,
उड़ो,
अंधेरी काली रात के उजाले में उड़ो…

बाद में इस गीत को और भी कलाकारों ने गाया और अब मैककार्टनी के लिखे इस गीत को लगभग 56 साल बाद अफ़ीकन-अमेरिकन गायिका बियोन्से नोल्स ने फिर गाया है। बियोन्से का गाया यही गीत उनके नवीनतम हिट म्यूज़िक एलबम ‘काउबॉय कार्टर’ में शामिल है। बियोन्से के इसी एलबम को ‘कंट्री म्यूज़िक’ श्रेणी में ग्रैमी का ‘एलबम ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड-2025 दिया गया है। इस एलबम के जरिए वे काले कलाकारों के योगदान को पुनर्स्थापित करती हैं जिन्हें विस्मृति के गर्त में धकेल दिया गया है।

इतिहास में वर्चस्वशाली राजनीति के कारण कुछ कलाकारों के रचनात्मक योगदान को इरादतन हाशिए पर धकेला गया, जो अब भी जारी है। उनकी कहानियां दफ़्न कर दी जाती हैं। इतिहास की किताब में फाड़ डाले गए कुछ पन्ने नई पीढ़ी को ग़ायब मिलते हैं। अमेरिकी इतिहास में काउबॉय काले कलाकारों के साथ यही हुआ। उन्हें भुला दिया गया। उन्हें अपमानित किया गया और घोर उपेक्षा की गई। लेकिन बियोन्से ‘काउबॉय कार्टर’ के जरिए संगीत का एक नया सांगीतिक इतिहास लिखने की अथक रचनात्मक कोशिश करती हैं। उनका यह एलबम संगीत-कहानियों को नए सिरे से लिखता, जोड़ता, रचता और इसे अभिव्यक्त करने की एक क्रांतिकारी कोशिश करता है। बियोन्से ‘काउबॉय कार्टर’ के जरिए भुला दिए काउबॉय काले कलाकारों के योगदान को पुनर्प्रतिष्ठित करती हैं।

बियोन्से के इस एलबम में ‘ब्लैकबर्ड’ गीत सुनकर ख़ुद पाल मैककार्टनी कहते हैं –‘मुझे लगता है कि बियोन्से ने ‘ब्लैकबर्ड’ का शानदार वर्शन बनाया है। उनके जरिए एक बार फिर यह गीत नागरिक अधिकारों के मुद्दे को केंद्र में ले आएगा। इसी मुद्दे ने बरसों पहले मुझे यह गीत लिखने के लिए प्रेरित किया था। अब यह फिर से नागरिक अधिकारों की आवाज़ को बुलंद करेगा। मुझे यक़ीन नहीं होता कि अब भी दुनिया में कहीं न कहीं काले लोगों के खिलाफ़ भेदभाव जारी है। मेरा यह गीत और बियोन्से का बनाया इसका शानदार वर्शन नस्लीय भेदभाव को कम करने में अपनी भूमिका अदा करेगा। मैं आग्रह करूंगा कि जिसने अब तक बियोन्से का यह गीत नहीं सुना, वे इसे ज़रूर सुनें, उन्हें यह पसंद आएगा।‘

काउबॉय यानी चौड़े और विशाल मैदानों में मवेशियों को संभालने-पालने-देखभाल करने वाले। अपने काम में बेहद कुशल और हर परिस्थितियों में कड़ा परिश्रम करने वाले। इन्हें गुलामों से ज़्यादा कभी अहमियत नहीं दी गई और जिन्हें पूर्व गुलामों के ‘बॉय’ (लड़कों) के रूप में हिकारत की नज़रों से देखा गया, कमतर आंका गया। अमेरिकी इतिहास में इनकी उपेक्षा की गई और उनके कौशल्य, परिश्रम और अथक संघर्ष को निरंतर अनदेखा किया गया। ये काउबॉय बहुत कुशल थे और उनके पास घोड़ों और मवेशियों को संभालने का कठिन, जोखिमभरा और जिम्मेदारीभरा काम था। इसीलिए बियोन्से के इस एलबम में उनकी स्पष्ट इतिहास दृष्टि, गहरी संवेदनशील तथा समावेशी संगीत-दृष्टि दिखाई देती है। एलबम में संगीत की कई शैलियों और गायन का संतुलन साधा गया है। एक वर्चस्वशाली समाज में उनका यह एलबम एक ताक़तवर राजनीतिक बयान की तरह देखा जा रहा है। यह अपनी जड़ों की ओर लौटना ही नहीं है बल्कि उसे अन्यायी वर्तमान के ख़ुले ख़तरनाक के बीच अपनी पताका फहराने का संगीतात्मक साहस है।

बियोन्से एक साक्षात्कार में कहती हैं- तमाम काउबॉय में से एक चौथाई काले थे। ये मवेशी-उद्योग की मज़बूत रीढ़ थे लेकिन इन्हें कभी बराबरी की निगाह से नहीं देखा गया। उन्हें उनका वाजिब हक़ और सम्मान कभी नहीं मिला। हालात ये थे कि तत्कालीन अमेरिकी समाज में इन परिश्रम और कुशल कॉउबॉय को सर संबोधन तो छोड़िए, इन्हें कोई मिस्टर तक नहीं पुकारता था। यह कितना अपमानजनक है कि चरवाहों के नाम उन ग़ुलामों के नाम पर रखे गए जो पशुओं को संभालते थे, देखरेख करते थे।‘

जाहिर है बियोन्से अमेरिकी इतिहास में पैवस्त प्रचलित और भेदभावभरी कहानियों को बदलने के लिए इस इलाके में अपना ताक़तवर कदम रख चुकी हैं। उनके इस कंट्री एलबम में कुल 29 गीत हैं। वे कहती हैं : मैंने लगभग पांच साल पहले ‘काउबॉय कार्टर’ पर काम करना शुरू किया था। अपने कॅरियर की शुरुआत से ही मैंने अपने हर एलबम में हमेशा विभिन्न शैलियों को घुला-मिलाकर संगीत रचा है। चाहे वह आर एंड बी, कंट्री, रैप, ज़ायडेको, ब्लूज़, ओपेरा, हो या गॉस्पेल हो या कुछ और। किसी न किसी स्तर पर इन शैलियों ने मुझ ख़ासा असर डाला है। मैं म्यूज़िक इंडस्ट्री में 25 वर्षों से हूं। काले कलाकार, हमेशा से कई शैलियों को बनाने और विकसित करने में महारत हासिल करते रहे हैं। तमाम काले देसी कलाकारों और उनके सराहने वालों को ‘काउबॉय कार्टर’ प्रभावित करेगा। हमारे पूर्ववर्ती नवाचारी काले संगीतकारों को गहराई से महसूस किया जाएगा। अभी भी सबसे प्रतिभाशाली कंट्री म्यूज़िक के कलाकारों को मुख्यधारा में उनका दाय, पहचान और सम्मान नहीं मिला है। वे इसके हक़दार हैं क्योंकि तमाम आदर्शों को लांघकर वे नया संगीत रच रहे हैं।

मेरे इस एलबम के गीतों को दुनियाभर में मिलती सराहना से मैं बहुत उत्साहित हूं। एक गीत टेक्सास होल्ड’एम को खुले दिल से अपनाया गया। रोमांचक यह भी है कि इसने एक बड़े परिप्रेक्ष्य में हलचल मचा दी है। चाहे संगीत हो, फ़ैशन हो, कला हो या संस्कृति हो, इसने देशी शैली को फिर से सांसें देने में मदद की। इसके जरिए दुनिया शबूज़ी, टैनर एडेल, विली जोन्स, ब्रिटनी स्पेंसर, टिएरा कैनेडी रेना रॉबर्ट्स, लिंडा मार्टेल, स्टीवी वंडर, डॉली पार्टन जैसे कई बेहतरीन कंट्री सिंगर्स से आत्मीय परिचय कर रही हैं।‘

जाहिर है ‘काउबॉय कार्टर’ एक प्रयोगात्मक और नवाचारी ही नहीं बल्कि संगीत की दुनिया में एक क्रांतिकारी संगीत है। इसीलिए बियोन्से कहती हैं : ‘मैं सबसे पहले एक संगीतकार हूं। यही मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है। मुझे लगता है, मैं संगीत में एक एक्सपर्ट के रूप आत्मविश्वास और दृढ़ता से संगीत रच रही हूं। उम्मीद है, मेरा संगीत लोगों को प्रभावित करेगा। उम्मीद है कि मेरा संगीत कलाकारों और लोगों को अपने भीतर झांकने का मौक़ा देगा। मैं कहानी कहने, कहने की कला, विकास और गुणवत्ता पर ध्यान देती हूं। मैं पूर्णतावाद के बजाय नवाचार और बदलती धारणा पर ध्यान देती हूं। ‘काउबॉय कार्टर’ के लिए संगीत पर अथक काम करते मैंने रोमांच महसूस किया। कभी थकान महसूस नहीं की। असल बात तो यह है कि मैं केवल उस काम पर अपनी ऊर्जा निवेश करती हूं, जो मुझे मुक्त करता है। प्रसिद्धि कभी-कभी मुझे एक क़ैद जैसी लगती है। इस क़ैद से बाहर आकर ही मैं अच्छा संगीत रच रही हूं।‘

बियोन्से अपने काम को लेकर क़तई भ्रमित नहीं होती। वे ध्यानमग्न होकर, अपने काम पर चिंतन करती हैं। वे मानती हैं कि ‘मैं किसी चीज़ पर तब तक अपना समय बर्बाद नहीं करती जब तक कि मेरे भीतर उसके प्रति गहरा अनुराग न हो। जुनून ना हो। मैं वही संगीत रचती हूं जो मेरे दिलो-दिमाग़ में निरंतर गूंजता रहे। मैं वही संगीत रचती हूं जिसके बारे में मैं दिन-रात सोचती रहूं। सोते-जागते जिस संगीत के मैं सपने देखती हूं। इसके बाद ही मैं संगीत रच पाती हूं। यदि मुझे यह महसूस नहीं होता तो मैं फिर वह काम छोड़ देती हूं। मेरा मानना है कि सबकुछ हमेशा बेहतर हो सकता है। मैं किसी चीज़ पर तब तक काम करती रहती हूं, जब तक कि वह सर्वोत्तम ना बन जाए।‘

अपने संगीत को लेकर वे मौलिक विचार रखती हैं और अपनी बात पूरे आत्मविश्वास से कहती हैं। वे मानती हैं कि ‘मैं उन चीज़ों से प्रेरित हूं जो शून्य को भरती हैं। मैं खुद को अनूठे ढंग से सोचने की चुनौती देती हूं। मेरे आसपास मेरे साथियों को भी मैं यही चुनौती देती हूं कि वे कुछ अलग सोचें। मुझे लगता है कि क़ामयाबी का एक बड़ा हिस्सा जीवन के प्रति आपका नज़रिया है। हर निराशा, विकास का एक नया मौक़ा है। घूमने-भटकने का, नया रचने का एक मौक़ा। मैं ईश्वर पर भरोसा करती हूं, तब भी जब ऐसा महसूस होता है कि मैं सुरंग के आखिर में रोशनी को मुश्किल से ही देख पा रही हूं। मैं जानती हूं, पूरी धरती मेरे लिए खुल जाने वाली है।‘

उनमें अपने पूर्वजों और अपने पूववर्ती कलाकारों के प्रति गहरा प्रेम और कृतज्ञता का भाव है। इसीलिए तो यह कह पाती हैं कि ‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि अतीत, वर्तमान और भविष्य जुड़े हुए हैं। हमारा इतिहास हमारे भविष्य का द्वार है। मैं अपने पूर्वजों से गहरे जुड़ी महसूस करती हूं और मानती हूं कि वे हमेशा मुझे और मेरे परिवार को उजली राह दिखा रहे हैं। मैं उनके मार्गदर्शन के लिए अपना दिल हमेशा खुला रखती हूं।

बियोन्से जुनूनी कलाकार हैं, उन्हें बिना रुके, बिना थके काम करते रहने से प्यार है। उनमें अपनी बात कहने की दृढ़ता और सहज आत्मविश्वास है। इसीलिए वे यह बात कह पाती हैं कि- ‘मैं पॉप विरोधी नहीं हूं। मैं पॉप का सम्मान करती हूं लेकिन वह एक ऐसा समय था जब हर कोई पॉप/नृत्य और संगीत कर रहा था लेकिन आत्मा कहीं डूब रही थी। हालांकि यह लोकप्रिय और मज़ेदार था, लेकिन यह मेरी चीज़ तो नहीं थी। यह वह जगह नहीं थी, जहां मैं उस समय अपने संगीत कॅरियर की शुरुआत करने जा रही थी और संगीत रचना चाहती थी। मैं तो अधिक संगीतात्मकता के साथ किसी गहरी चीज़ के लिए उत्सुक और बेचैन थी। इसीलिए मैंने इस एलबम के लिए बहुत सोच-विचार कर इसे तैयार किया।

जाहिर है इस एलबम के जरिए वे सिर्फ़ और सिर्फ़ आवाज़ पर ध्यान केंद्रित कर रही थीं। इसका एक बड़ा कारण तो यह है कि म्यूज़िक के नाम पर हमारे चारों ओर इतने दृश्य हैं और वे इतनी तेज़ी से बदलते हैं कि कई बार आवाज़ को अनदेखा कर दिया जाता है। आवाज़ का सुरीलापन, उसका टेक्स्चर महसूस नहीं होता। इसीलिए वे कहती हैं- ‘यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे समय में जब हम केवल दृश्य-दर-दृश्य देखते हैं, दुनिया सिर्फ़ आवाज़ सुने, उसे महसूस करे। काउबॉय कार्टर यही काम करता है। आप सुनें और महसूस करें। संगीत को अपने आप सांस लेने के लिए जगह दी जाना चाहिए। जहां वह धड़क सके। आवाज़ और संगीत की गुणवत्ता और सुरीलेपन से कोई गतिमान दृश्य ध्यान भटका सकता है। मैंने बहुत समय पहले ही पॉप स्टार के फॉर्मूले को त्याग दिया था। मैंने पॉप पर ध्यान देनाबंद कर दिया है।मैंने उन गुणों पर ध्यान दिया जो समय और अनुभव के साथ बेहतर और गहरे होते जाते हैं। अच्छा संगीत कभी ख़त्म नहीं होंगे। उसके साथ आने वाले पैग़ाम भी।

वे सभी गायकों-गायिकाओं-गीतकारों से प्यार करती हैं, सम्मान करती हैं जो अब भुला दिए गए हैं। वे उन्हें शिद्दत याद करती हैं क्योंकि इन कलाकारों से उन्हें ताक़त मिलती है।

वे गायन से अपने संबंध को बहुत ख़ूबसूरती और मार्मिकता से अभिव्यक्त करती हैं। इसीलिए वे कहती हैं कि ‘गाना मेरे लिए काम नहीं है। गाना तो मैं अपने लिए गाती हूं। यह एक जुनून है। गाना मैं कंठ में महूसस करती हूं, इसमें एक जादू है। एक गूंज है जो मेरे जरिए कम्पन्न करती है। जब मैं थकी महसूस करती हूं, उदास होती हूं या बीमार होती हूं या फिर मेरी रातों की नींद हराम हो जाती है, तब मैं गाती हूं। अपने लिए। और अक्सर अकेले गाती हूं। मेरी आवाज़ हमेशा मेरी साथी रही., मेरी हमसफ़र। यही कारण है कि मैं हमेशा अकेले ख़ुश रह पाती हूं। जब मुझे शब्द नहीं मिलते, तब भी संगीत मेरे दिल की बात सुनता-समझता है। लेकिन हमेशा, यह उन निजी अभयारण्यों में संभव होता है जैसे स्टूडियो या कार में, जहां मुझे आत्मिक शांति मिलती है। गायन मुझे सुकून देता है, यह मेरे दिल की धड़कन को स्थिर करता है। यह मेरे लिए डोपामाइन का सबसे अच्छा स्रोत है। गायन ने मुझे बार-बार स्वस्थ किया है। यह मेरी शरणस्थली है।‘

और उनकी सबसे बड़ी ख़ुशी क्या है? वे कहती हैं- ‘संगीत, खासतौर से गायन मेरे जीवन की सबसे गहरी ख़ुशियों में से एक है, सांस जितनी ही ज़रूरी। गायन के बिना, संगीत के बिना, सृजन के बिना, मैं चलती-फिरती लाश हूं। मेरा जन्म संगीत रचने के लिए हुआ है। मैं इसका भरपूर आनंद लेती हूं।‘


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