Quantcast
Channel: जानकी पुल – A Bridge of World Literature
Viewing all articles
Browse latest Browse all 1591

अनछुए चरित्र, विस्मित कर देनेवाले किरदार

$
0
0
जाने माने कथाकार-कवि हरि मृदुल का कहानी संग्रह ‘हंगल साहब ज़रा हँस दीजिए’  पिछले साल आया था। उसके बारे में प्रसिद्ध लेखिका अलका सरावगी की यह टिप्पणी पढ़िए। संग्रह आधार प्रकाशन से प्रकाशित है-
==========================
हरि मृदुल की कहानियां समकालीन जीवन-जगत को एकदम अलग कोणों से पकड़ती हैं। अपने कथ्य, शिल्प, भाषा और दृष्टि में ये समकालीनों से सर्वदा भिन्न हैं, इसीलिए अनूठी हैं। विचार और भावना का संयम- संतुलन इन्हें एक ऊंचाई देता है। ये अपनी काया में अपेक्षाकृत छोटी जरूर हैं, लेकिन असर में बृहद हैं। किस्म-किस्म के किरदार। कुछ पहाड़ों के, तो कुछ मुंबई के। कुछ घर-परिवार के, तो कुछ फिल्मी संसार के। कहीं गल्प का जोरदार अंदाज, तो कहीं सत्यकथा जैसा संधान। किस्सा सुनाने के लिए कितनी ही प्रविधियों का प्रक्षेपण। लेकिन उनका कहन कभी भी यथार्थ का पीछा नहीं छोड़ता। इन कहानियों में जितना उत्तराखंड है, उतना ही मुंबई। जितनी दादा-दादी, माता-पिता की नानाविध स्मृतियां मौजूद हैं, उतना ही मुंबई में नाम-दाम कमाने आए युवाओं और बूढ़े हो चुके नामचीन कलाकारों का वर्तमान भी दर्ज है।
संग्रह की शुरुआत जिस कहानी से होती है, उसके केंद्र में जवान बछड़ों को बधिया कर बैल बनाने वाला अस्सी साल का अर्जन्या है। ‘अर्जन्या’ में कमाल की उलटबांसी है। बधिया करने वाला अर्जन्या इंदिरा गांधी के जमाने में खुद भी जबरन बधिया कर दिया गया था। हालांकि इसके बाद भी वह एक बेटी का पिता बन जाता है। नसबंदी के असफल हो जाने के आक्रोश में वह अपनी बेटी का नाम इंदिरा रख देता है। वर्तमान की विडंबना को अपनी ही तरह से व्यक्त करती यह एक जबर्दस्त कौतुक कथा भी है। ‘बाघ’ कहानी में बाघ को भगाने की हांक लगानेवाले दादा मुंबई में रहते पोते के अंदर बस जाते हैं। अब पोता भी अधेड़ हो चुका है। एक बार वह सपने में बाघ को भगा रहा होता है, तो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ देख रहे बीवी और बच्चे विस्मित होकर पूछते हैं- मुंबई में बाघ? पहाड़ से बहुत दूर रोजी-रोटी के लिए मुंबई चले आए पात्र के तमाम पुरखे इस कहानी में जब-तब स्मृतियों की पोटली खोलते नजर आ जाते हैं। कहानी ‘कुत्ते दिन’ में फिल्म स्टारों के कुत्तों पर मीडिया में छपी कतरनें बटोरता पिता है, जिसका कुत्तों से नफ़रत के पीछे एक निजी क्रंदन और हाहाकार है। कहानी ‘पटरी पर गाड़ी’ में यही क्रंदन किसी अनजान बच्चे के बारिश के जल-प्लावन में डूब जाने के कारण है, जो खुद उसका बच्चा भी तो हो सकता था!
‘हंगल साहब, जरा हँस दीजिए’ कहानी के नाम पर संग्रह का नाम यूं ही नहीं रखा गया है। शो-बिजनेस की नगरी की संवेदनहीनता या कहिए निर्लज्जता का ‘शो’ यही है कि एक बूढ़े अशक्त कलाकार से उसके पुराने डायलॉग स्टेज पर बुलवाए जाएं और मदद का चेक देते समय का फ़ोटो खींचने के लिए उसे जबरन हँसने को कहा जाए। ऐसी ही एक कहानी है ‘पृथ्वी में शशि’, जिसमें व्हीलचेयर पर पृथ्वी थिएटर में नाटक देखने आए बूढ़े और अशक्त हो चुके अभिनेता शशि कपूर हैं, जो अधेड़ उम्र की अपनी एक फैन की मनःस्थिति पढ़ लेते हैं और सच का सामना करते हुए पृथ्वी थिएटर से दूरी बना लेते हैं। ‘कपिल शर्मा की हँसी’ में कॉमेडियन की ग़ायब हँसी को लौटाता है एक बुजुर्ग मेकअप मैन, यह याद दिलाकर कि क्या इधर उसने अपनी चार महीने की बच्ची की निर्मल हँसी देखी है? ‘ढेंचू’ कहानी में छोटे शहर का एक कलाकार फ़िल्म की शूटिंग के दौरान सेट पर गधे से बात कर सबको चौंका देता है, बावजूद इसके अंत में उसे गधे की ही उपाधि मिलती है।
कहानी ‘आलू’ बाजार की कलई खोलती एक दुर्लभ कहानी है। पंद्रह रुपए के पैकेट में पांच रुपए की हवा, पांच रुपये के वेफर और पांच रुपए का चमकीला रैपर!! बाजार की ठगी और अकूत मुनाफे वाले इस गणित को एक बाप बड़े आसान शब्दों में अपने बच्चे को समझाने में सफल हो जाता है। इसी तरह कहानी ‘कन्हैया’ में एक मुस्लिम बांसुरीवादक युवक है, जो मुंबई की सड़कों पर घूमता लोगों की स्मृति जगा रहा है। भगवान कृष्ण की अपनी ही तरह से श्रद्धा रखता यह युवक हिंदू और मुस्लिम दोनों ही तरफ के कट्टरपंथियों के कोप का शिकार है। इधर मीडिया भी इस बांसुरीवादक युवक में इसलिए रुचि ले रहा होता है कि वह उसकी इस छबि को भुना सके। ‘पानी में पानी’, ‘पीतल के गिलास’, ‘आमा’, ‘लता मंगेशकर की चोटी’, ‘मैं पिता को देख रहा था’, ‘ई कौन नगरिया’, ‘धनुष-बाण’, ‘पैंतीस साल बाद पांच दोस्त’, ‘घोंघा’ और ‘बिल्ली’ जैसी कहानियों में विडंबनाओं के नानाविध स्वरूप मौजूद हैं। ये स्वरूप कहीं कॉमिक अंदाज में दिखते हैं, तो कहीं हताश-उदास स्थिति में, लेकिन इनमें करुणा का अजस्र प्रवाह सदा ही मौजूद रहता है।
हरि मृदुल की इन कहानियों में कितने ही अनछुए चरित्र हैं, विस्मित कर देनेवाले किरदार हैं। इनमें मनुष्यता के व्यापक प्रश्न हैं। कठोर सत्य के उद्घाटन का आग्रह है। अगर कहीं-कहीं ये कहानियां रिपोर्ताज जैसी लगें, तो भी इनका कहानीपन कम नहीं होता। दरअसल इसी में इनकी वास्तविक कला छिपी है। ये बिना किसी अतिरिक्त आग्रह के या कहें कि कुछ अलग दिखने की कोशिश किए बिना भी कहानी के मर्म को अपने भीतर संजोए रहती हैं।
=================================
परिचय – हरि मृदुल
उत्तराखंड में चंपावत जिले के बगोटी गांव में 4 अक्टूबर, 1969 को जन्मे हरि मृदुल देश के प्रमुख युवा साहित्यकार हैं। प्राइमरी तक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई और फिर उत्तर प्रदेश के शहर बरेली से एमए तक की पढ़ाई की।
अब तक पांच कविता संग्रह ‘सफेदी में छुपा काला’,  ‘जैसे फूल हजारी’, ‘बदले वक्त के मापक यंत्र’, ‘चयनित कविताएं’, अंग्रेजी में अनूदित एक कविता संग्रह ‘You Are Worth Millions Sir’ (जनाब आप करोड़ों के हैं) और एक कहानी संग्रह ‘हंगल साहब, जरा हँस दीजिए’ प्रकाशित। इसके अलावा बाल साहित्य की दो पुस्तकों ‘सपना एक मछली का’ और ‘चतुर बाज’ का नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया से कुमाउँनी अनुवाद प्रकाशित। कई चर्चित लघुकथाएं लिखी हैं और बाल साहित्य का भी सृजन किया है। फिल्मों पर काफी लिखा है, जो समय-समय पर महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ है। देश की सभी स्तरीय पत्रिकाओं में कविताओं और कहानियों का निरंतर प्रकाशन होता रहा है। एक कविता आईसीएसई और सीबीएसई बोर्ड के विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाई जा रही है।विभिन्न रचनाओं के मराठी, पंजाबी, उर्दू, कन्नड़, नेपाली, असमिया, बांग्ला, अंग्रेजी और स्पेनिश आदि भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं।
सम्मान और पुरस्कार : महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी का संत नामदेव पुरस्कार (2008), हेमंत स्मृति कविता सम्मान (2007), ‘कथादेश’ पत्रिका का अखिल भारतीय लघुकथा पुरस्कार (2009), कादंबिनी अखिल भारतीय लघुकथा पुरस्कार (2010), वर्तमान साहित्य कमलेश्वर कहानी पुरस्कार (2012), प्रियदर्शिनी पुरस्कार (2018), हिमांशु राय फिल्म पत्रकारिता पुरस्कार (2011), रामप्रसाद पोद्दार पत्रकारिता पुरस्कार (2019),  Afternoon Voice  Best journalist Award (2023) और ‘डॉ.हरिवंश राय बच्चन कविता पुरस्कार’ (2024) प्राप्त हो चुके हैं।
नूतन सवेरा, दैनिक जागरण, अमर उजाला में वरिष्ठ पदों पर रहकर पत्रकारिता करने के बाद आजकल टाइम्स ग्रुप के हिंदी समाचार पत्र नवभारत टाइम्स, मुंबई में सहायक संपादक हैं।

The post अनछुए चरित्र, विस्मित कर देनेवाले किरदार appeared first on जानकी पुल - A Bridge of World's Literature..


Viewing all articles
Browse latest Browse all 1591

Latest Images

Trending Articles



Latest Images